ताजियों की मिलनी कराकर कर्बला में किया दफ़्न, सीनाजनी कर बोले या हुसैन



बहरियाबाद। शोहदा-ए-कर्बला हजरत इमाम हुसैन और उनके जां निसार साथी जिन्होंने इस्लाम और इन्सानियत की बका के लिए शहादत तो कुबूल की लेकिन यजीद की बैयत कुबूल न की। इन्हीं शोहदा-ए-कर्बला की याद में शुक्रवार को स्थानीय कस्बा सहित मुस्लिम बहुल गांवो में पूरे दिन ताजिया जुलूस निकाले गए।



मुस्लिम बहुल मुहल्लों में पूरे दिन या अली या हुसैन या अब्बास हाए सकीना की सदाएं बुलन्द होती रहीं। अजादारे हुसैन ने फर्शे-अजा बिछायी। इस दौरान विभिन्न अंजुमनों के लोगों द्वारा मातम, जंजीर का मातम, नौहाख्वानी व सीनाजनी कर शोहदा-ए-कर्बला को नम आंखो से याद किया गया। युवकों ने युद्ध कला का प्रदर्शन किया। इमाम चौक पर रखे ताजियों को स्थानीय कर्बला में दफ्न किया गया। स्थानीय कस्बा के उत्तर व दक्षिण मुहल्ला से प्रातः बाद नमाज फज्र जुलूस निकाला गया जो निर्धारित समय पर निर्धारित रास्तों से होते हुए चौघट्टा व जामा मस्जिद के बाहर पहुंच कर समाप्त हुआ। दोपहर को पुनः दोनों मुहल्लों से जुलूस निकाल कर विभिन्न चौक पर रखे ताजियों को लेकर चौघट्टा स्थित चौक पर पहुंचे जहां दोनों ताजियों की मिलनी हुयी। तत्पश्चात ताजियों को चौघट्टा चौक व जामा मस्जिद परिसर में रखा गया। शाम को पुनः दोनों अखाड़ों का जुलूस शुरू हुआ जिसमें युवकों ने ढाल-तलवार, पटा, बल्लम, बना, बनेठी, लाठी, गत्का आदि से युद्ध कला का प्रदर्शन किया। बाद मगरिब दोनों मुहल्लों के ताजिये का गश्त कराने के बाद रात्रि में कर्बला में दफ्न किया गया। इस दौरान किसी भी अशांत व्यवस्था से निबटने के लिए भारी मात्रा में पुलिस बल के साथ खुद जखनियां उपजिलाधिकारी जयशंकर तिवारी और सैदपुर क्षेत्राधिकारी डॉ. तेजवीर सिंह भी साथ चल रहे थे।



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