पुत्रों की दिर्घायु के लिए माताओं ने रखा अखण्ड निर्जला व्रत
देवकली( गाजीपुर)। स्थानीय बाजार सहित क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में जीवित्पुत्रिका व्रत हर्षोत्साह के साथ परम्परागत ढंग से मनाया गया।
इस अवसर पर निर्जला रह कर महिलाओं ने पुत्र के दीर्घायु होने की कामना को लेकर व्रत रखा। उन्होंने डीह बाबा परिसर में इकठ्ठा होकर पूजन अर्चन कर कथा श्रवण किया। यह व्रत सबसे कठिन माना जाता है। किंवदन्तियों के अनुसार महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने अर्जुन की पुत्रवधु उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने हेतु ब्रह्मास्त्र चलाया था। उत्तरा समर्पित कृष्ण-भक्त थी। उन्होंने श्रीकृष्ण और माता रुक्मणी (लक्ष्मी) का ध्यान किया और गर्भस्थ शिशु के रक्षार्थ प्रार्थना की। श्रीकृष्ण ने ब्रह्मास्त्र को रोका और माँ आद्यशक्ति सन्तान लक्ष्मी ने उत्तरा के गर्भ को अंदर से सुरक्षा कवच से ढँक दिया। ब्रह्मास्त्र को पूरे ब्रह्माण्ड में लक्ष्य भेदने से कोई रोक नहीं सकता था। इसलिए इस प्रतिमान को अक्षय रखने हेतु ब्रह्मास्त्र ने उत्तरा का गर्भ नष्ट किया और पुनः उस गर्भ को भगवान कृष्ण और माँ आद्यशक्ति सन्तान लक्ष्मी ने जीवित किया। इस घटनाक्रम को जीवित्पुत्रिका कहा गया। पांडवो और उत्तरा ने भगवान कृष्ण और आद्यशक्ति सन्तान लक्ष्मी की स्तुति की। उत्तरा ने माँ आद्यशक्ति सन्तान लक्ष्मी और जगत का पालन करने वाले कृष्ण रूप भगवान विष्णु से प्रार्थना किया कि इस दिन को स्मरण करके जो पुत्रवती स्त्री आपका व्रत और तीन दिन का अनुष्ठान करे, उनके पुत्र को मेरे पुत्र की तरह आप सदैव संरक्षण प्रदान करें। इस कथा का श्रवण और स्मरण करते हुए महिलाओं ने तपश्चर्य की भाँति जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। जिसका पारण वे अगले दिन करेंगी।