निमोनिया को माना जा रहा 14.3 फीसदी बच्चों के मौत का कारण, बचाव के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
ग़ाज़ीपुर। 0 से 5 साल तक के बच्चों की होने वाली मौत का महत्वपूर्ण कारण निमोनिया को माना जा रहा है। क्योंकि ये दर 14.3 प्रतिशत है। ऐसे में इसे रोकने के लिए शासन द्वारा सभी एएनएम, स्टाफ नर्स, सीएचओ, आशा संगिनी, मेडिकल ऑफिसर को सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेजफुली (सांस) अभियान की ट्रेनिंग देकर इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसी के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में 2 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें स्टाफ नर्स और मेडिकल अफसर शामिल रहे। प्रशिक्षण के उपरांत इन सभी लोगों को प्रमाण पत्र का वितरण किया। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने बताया कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया होने की ज्यादा संभावना रहती हैं। जिसके कारण उनकी मृत्यु भी हो जाती है। ऐसे बच्चों को निमोनिया से होने वाली मृत्यु से बचाने को लेकर शासन के द्वारा ये ‘सांस’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत प्रशिक्षण लेकर सभी लोग समुदाय स्तर पर जागरुक करने का कार्य करेंगे व बचाव के तरीके, जिसमें घरेलू उपाय भी शामिल है, उन्हें बताएंगे और ज्यादा गंभीर होने पर बच्चों को स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने के बारे में भी जानकारी देंगे। यदि बच्चा ज्यादा गंभीर हो तो पीकू वार्ड में भी रेफर किया जा सकता है। प्रशिक्षक डॉ सुजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि जिले में 0 से 5 वर्ष तक के करीब 16 फीसदी बच्चे प्रति वर्ष निमोनिया से संक्रमित हो जाते हैं। बच्चों में निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु अन्य संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु की तुलना में काफी अधिक है। जिसके सामान्य लक्षण खांसी-सर्दी, बुखार, तेजी से सांस लेना, पसलियों का अंदर धंसना हैं। निमोनिया के कारण मृत्यु दर में कुपोषण, स्वच्छ पेयजल की कमी, स्वच्छता व स्वास्थ्य देखभाल मुख्य कारक हैं। जिससे समय पर लक्षणों की पहचान कर तुरंत उपचार शुरू किया जाना चाहिए। अभिभावकों में निमोनिया से बचाव को लेकर जागरूकता आने से बच्चों को इससे बचाया जा सकता है। निमोनिया से बच्चों की सुरक्षा के लिए पहले छह माह में शिशु को केवल स्तनपान करवाना, छह माह बाद पूरक पोषाहार देना, विटामिन ए की खुराक देना, निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण करवाना व साबुन से हाथ धुलवाना जरूरी है। 0-5 वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों में निमोनिया एक घातक बीमारी के रूप में उभरा है। निमोनिया से बचाव के लिए उसका उचित प्रबंधन महत्वपूर्ण है। 0-2 माह तक के बच्चे प्रति मिनट 60 बार सांस ले सकते हैं। 2 से 12 माह तक के लिए प्रति मिनट 50 बार और 12 माह से 5 साल तक के बच्चे प्रति मिनट 40 बार सांस ले सकते हैं। अगर इस उम्र में इससे ज्यादा सांस लेने पर निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में अभिभावकों को सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। इस मौके पर एचईओ अरुण कुमार सिंह, सीएमओ डॉ जेएन सिंह, एसएनसीयू डॉ केके सिंह, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ विनय शंकर आदि रहे।