डॉ. गणेश का मिला साथ तो दो बेटियों ने टीबी को दे दी मात, दवा के साथ नियमित देते रहे हौसला
गोरखपुर। क्षय रोग यानि टीबी का इलाज तब और आसान हो जाता है जब दवा के साथ सही पोषण और भावनात्मक सहयोग भी मिले। यह साबित कर दिखाया है जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने। उन्होंने अप्रैल 2022 में टीबी ग्रसित दो बेटियों को गोद लिया। पोषक सामग्री प्रदान करने के साथ उनकी हरसंभव सहायता की। नतीजा यह रहा कि बच्चियां छह माह में ही ठीक हो गयीं और अब सामान्य जीवन जी रही हैं। डॉ यादव जिला कुष्ठ रोग अधिकारी होने के अलावा इस समय जिला क्षय रोग अधिकारी का भी प्रभार देख रहे हैं। डॉ यादव बताते हैं कि जिले में जनवरी 2022 से लेकर 15 नवम्बर तक 1535 टीबी रोगियों को गोद लेकर मदद पहुंचाई गयी। इनमें से 484 टीबी रोगी 18 वर्ष से कम आयु के थे। कुल टीबी रोगियों के सापेक्ष 695 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। उन्होंने जब बच्चियों को गोद लिया था तब वह सिर्फ जिला कुष्ठ रोग अधिकारी थे। दोनों बच्चियों के अभिभावकों को उन्होंने अपना नम्बर दिया था और साथ ही ब्लॉक के अधिकारियों को नियमित मॉनीटरिंग के लिए लगा रखा था कि बच्चियों की दवा एक भी दिन बंद न होने पाए। चरगांवा ब्लॉक के सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) मनीष तिवारी बताते हैं कि बच्चियों को ड्यू डेट से थोड़ी अधिक दवा दी जाती थी ताकि अगर अस्पताल बंद हो या किसी अन्य कारण से वह न आ पाएं तब भी दवा एक भी दिन न छूटे। डॉ यादव एसटीएस से भी लगातार फॉलो अप करते थे। 10 वर्षीय बच्ची की माता बबिता बताती हैं कि उनकी बेटी को सीने में दर्द और सूजन की शिकायत आई तो उन्होंने पहले प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराया। जब कोई लाभ नहीं मिला तो उन्होंने चरगांवा पीएचसी दिखाया जहां टीबी का इलाज शुरू हुआ। उन्हें बच्ची समेत बुलाकर चना, गुड़ आदि पोषक सामग्री दी गयी और डॉ गणेश यादव ने भरोसा दिया कि महज छह महीने में बच्ची ठीक हो जाएगी लेकिन दवा एक भी दिन बंद नहीं होनी चाहिए। इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए 3000 रुपये भी मिले जिससे पौष्टिक खानपान में मदद मिली। अगस्त में उनकी बेटी ने टीबी को मात दे दी। 16 वर्षीय किशोरी की मां अंजू देवी बताती हैं कि बच्ची को रात में बुखार चढ़ता था। कई निजी अस्पतालों के चक्कर लगाए जिसमें लाखों रुपये खर्च हो गये। उन्हें आशा कार्यकर्ता ने बताया कि चरगांवा ब्लॉक से टीबी की निःशुल्क दवा तो मिलेगी ही, पोषण के लिए 500 रुपये प्रति माह की दर से मदद भी होगी। अंजू ने बेटी का इलाज चलाया और इसी दौरान डॉ गणेश ने बच्ची को गोद ले लिया। डॉ यादव ने पौष्टिक आहार भेंट किया और खुद एवं एसटीएस के माध्यम से मनोबल बढ़ाते रहे। किशोरी सितम्बर माह में स्वस्थ हो गयी। डॉ गणेश यादव का कहना है कि टीबी मरीजों को गोद लेने वाले लोग निक्षय पोर्टल पर निक्षय मित्र नाम से पंजीकृत किये जाते हैं। उन्हें मरीज को एक किलो मूंगफली, एक किलो भुना चना, एक किलो गुड़, एक किलो सत्तू, एक किलो तिल या गजक और एक किलो अन्य कोई पौष्टिक सामग्री आदि देना है। टीबी मरीज का मनोबल बढ़ाना है और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में मदद प्रदान करना है। बेहतर कार्य करने वाले निक्षय मित्र सम्मानित भी किये जाते हैं।