सहकारी समितियों पर हुई डीएपी खाद की किल्लत, कई बाजारों में नकली खाद की जमकर हो रही बिक्री
भीमापार। स्थानीय क्षेत्र के सहकारी समितियों पर डीएपी खाद की किल्लत है। किसान एक दो बोरी खाद लेने के लिए समितियों पर घंटों कतार में खड़े रहते हैं, फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा। इस वजह से उनकी खेती-बाड़ी पर इसका असर पड़ रहा है। नवंबर और दिसंबर का महीना रबी फसल की बुआई के अनुकूल है। इसके बीज के साथ किसानों को खाद (यूरिया व डीएपी) की जरूरत होती है। भीमापार क्षेत्र मे बीज तो ब्लॉक के किसान केंद्र पर किसानों को मिल जा रहे हैं, लेकिन फसलों को मजबूती देने वाला डीएपी खाद नहीं मिल रहा है। इस वजह से क्षेत्र के किसान काफी मायूस हैं। साथ ही जो डीएपी बाजार में मिल रहा है, वह मिलावटी है। इससे वे और भी परेशान हैं। बता दें कि धान की कटाई के साथ ही किसान अपने खेतों की जुताई में जुट गए हैं। यहां करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन पर रबी फसल की बुआई की तैयारी है। समितियों से डीएपी गायब होने से किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। डीएपी की इस किल्लत का लाभ कुछ खाद कारोबारी उठा रहे हैं। वे इफको डीएपी के बोरे में मिक्सचर खाद पैक कर बेच रहे हैं। क्षेत्र के भीमापार, उचौरी, मखदुमपुर बाजार में इस खाद की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। मिक्सचर की कीमत करीब 700 रुपये प्रति बोरा है, जबकि इफको डीएपी के नाम पर वह 1400 से 1500 रुपये में आसानी से बिक जाती है। डीएपी और मिक्सचर का दाना एक समान ही रहता है। इस वजह से उसकी पहचान मुश्किल है। दुकानदार पढ़े लिखे किसानों को डीएपी देने से परहेज भी कर रहे हैं। वे कम पढ़े लिखे लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं और कृषि विभाग के अधिकारी इस मामले में मौन हैं। भीमापार निवासी किसान केदार कुशवाहा ने कहा कि हम महंगाई से परेशान हैं। हम लोगों का दर्द समझने वाला कोई नहीं है। पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष खेती करने में अधिक रूपया लग रहा है। गेहूं का बीज भी महंगा हो गया है, खाद भी नहीं मिल रही है। दुकानों से मिल रही है तो नकली। इसके साथ ही खेतों की जुताई भी महंगी हो गई है। जगदीशपुर निवासी राजेश कुमार सिंह ने कहा कि डीएपी की किल्लत है। बाजार में खाद दुकानदार के पास मिल रहा है, वो अधिक कीमत ले रहे हैं। रामखेलावन व सुरेंद्र भी डीएपी न मिलने से परेशान हैं। इस बाबत जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय सिंह ने बताया कि साढ़े सात हजार मिट्रिक टन जनपद में आ चुकी है। जबकि पूरे रबी सीजन का लक्ष्य 23 हजार मिट्रिक टन का है। नवम्बर माह तक 12 हजार 500 मिट्रिक टन का लक्ष्य था और उसके सापेक्ष 14 हजार 770 मिट्रिक टन जनपद में आ चुकी है। कहा कि अगर कहीं नकली खाद की शिकायत मिली तो छापेमारी कर उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।