बीतने वाला है जुलाई माह का पहला पखवारा, इसके बावजूद सूखी है वसुंधरा, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें
बिंदेश्वरी सिंह
खानपुर। जुलाई माह के एक पखवारा बीतने वाला है। इसके बावजूद धरती अभी तक सूखी हुई है। बरसात की हल्की बूंदों ने मानूसन के आने की दस्तक दी लेकिन इससे उमस और बढ़ गई है। मानसूनी उमस से चिपचिपी गर्मी, उल्टी, दस्त व डायरिया के मरीज बढ़ गए। घरों में लगे पंखा, एसी, कूलर नाकाम साबित हो रहे है। बारिश न होने के कारण धान लगाने वाले किसान इंद्रदेव से वर्षा की गुहार लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष जुलाई माह में बरसात ने लोगों को तरबतर कर दिया था लेकिन इस बार बंगाल की खाड़ी में मानसूनल सिस्टम न बन पाने की वजह से वर्षा में देरी हो रही है। इस वर्ष मार्च माह में होली बीतने के बाद से ही भीषण गर्मी शुरू हो गई थी। अप्रैल व जून के पहले सप्ताह से भयंकर गर्मी पड़ने लगी। सूर्यदेव की किरणें कब सुबह को दोपहर में तब्दील कर देती थीं, पता भी नहीं चलता था। जून का अंतिम सप्ताह में प्री मानसून आया लेकिन फिर भी बारिश नहीं हुई। बादलों के उमड़ घुमड़ कर आने जाने से किसानों की उम्मीद बनती बिगड़ती रहती है। बरसात न होने के कारण धान लगाने वाले किसानों को दिक्कतें हो रही हैं। जब तक ठीक से बरसात नहीं होगी तब तक धान की फसल नहीं लग पाएंगे। हल्की बरसात के बाद नमी होने से अरहर, मक्का, मूंग व उड़द लगाने वाले किसानों की बुआई अच्छी हो सकती है।