कोरोना काल के चलते इंटरनेट की प्रयोगशाला बनकर रह गया शिक्षा विभाग, मकड़जाल में उलझे शिक्षक



बिंदेश्वरी सिंह की खास खबर



खानपुर। शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के नाम पर हर साल एक नये प्रयोग से शिक्षा विभाग ऑनलाइन प्रयोगशाला बनकर रह गया है। परिषदीय शिक्षकों को पढ़ाने के अलावा शिक्षा विभाग ने कई अन्य योजनाओं में सहयोगी रखा गया है और अब जानकारियों के ऑनलाइन होने के बाद कई तरह के एप से उनको जूझना पड़ रहा है। कागजी कार्यवाहियों में भी जानकारियों के लेन-देन का सिलसिला ऑनलाइन चलने लगा है, जिसके कारण शिक्षक मोबाइल एप के मकड़जाल में उलझकर रह गए हैं। प्रत्येक शिक्षकों के स्मार्ट फोन में करीब दर्जनभर एप डाउनलोड हैं, इसके बाद भी कई पोर्टल में जाकर जानकारियां जुटानी और भेजनी पड़ रही हैं। जिससे पढ़ाने के अलावा अन्य कार्यों में शिक्षकों का समय अधिक लग रहा है। परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि मोबाइल पर करीब दर्जनभर एप शिक्षा विभाग से जुड़े डाउनलोड किये गये है। इसके बाद भी कई जानकारियों के लिए शिक्षकों को विभागीय पोर्टल पर जाना पड़ता है, तो कई जानकारियां प्रेषित करने के लिए पोर्टल का सहारा लेना पड़ता है। किसी शिक्षक के पास अन्य प्रभार है, तो उसके लिए अलग से मोबाइल एप है। एआरपी, संकुलों में प्रभार के साथ शिक्षक वोटर आईडी बनाने में ही कई तरह के मोबाइल एप हैं। शिक्षकों के स्मार्ट फोन में दर्जनों तरह के एप भरे पड़े है। शिक्षकों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी से लेकर वेतन पत्रक तक के लिए मोबाइल एप या पोर्टल का ही सहारा लेना पड़ता है और जानकारियों को अपडेट करना पड़ता है। जिसमें से ज्यादातर प्रतिदिन के उपयोग में हैं। इस तरह के विभिन्न एप में उलझे शिक्षकों के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए ही समय नहीं बच रहा है।



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