बेटे की समझदारी, एंबुलेंस की तत्परता और पुलिस के सहयोग से बची जान, सर्पदंश के बाद शहर में बना ग्रीन कॉरिडोर





गोरखपुर। सांप काटने पर लोग अक्सर झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ कर जान गंवा बैठते हैं। कुछ लोग पीड़ित को लेकर इधर-उधर लेकर भटकने भी लगते हैं, लेकिन चौरीचौरा क्षेत्र के मोतीपाकड़ गांव रहने वाले अजीत की समझदारी ने उनके 57 वर्षीय पिता ओमप्रकाश की जान बचा ली। उनकी समझदारी को एंबुलेंस की तत्परता और पुलिस का भी साथ मिल गया। खेत में काम करते समय ओमप्रकाश को सांप काटा तो बेटा उन्हें चौरीचौरा स्थित स्वास्थ्य केंद्र ले गया। डॉक्टर ने वहां एंटी स्नेकवेनम देकर जिला अस्पताल रेफर किया गया। इस बीच पुलिस ने रास्ते को ग्रीन कॉरिडोर बनवाते हुए महज 45 मिनट में पहुंचवा दिया। इलाज के बाद ओमप्रकाश अब बिलकुल स्वस्थ हैं। अजीत ने बताया कि उनके पिता 21 जून को खेत में काम कर रहे थे कि शाम पांच बजे के आसपास सांप ने काट लिया । उनके भाई ने उन्हें फोन से इस बारे में बताया तो उन्होंने भाई को समझाया कि सर्पदंश वाले हाथ को बांध दें और फौरन लेकर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। अजीत को यह पता था कि स्वास्थ्य केंद्र पर सर्पदंश से बचाव की सुई उपलब्ध होती है। निजी साधन से ओमप्रकाश को चौरीचौरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने के बाद डॉक्टर को दिखाया गया। गांव के लोग सांप को भी मार कर साथ ले गये थे। चिकित्सक ने दवा दिया लेकिन सांप की पहचान नहीं हो पाई। ऐसे में चिकित्सक ने सलाह दिया कि एंबुलेंस की मदद से ओमप्रकाश को अतिशीघ्र जिला अस्पताल पहुंचाया जाए। शाम को 5.46 पर 108 नंबर एंबुलेंस को कॉल किया गया और महज 13 मिनट में एंबुलेंस पहुंच गयी। ईएमटी सुनील कुमार ने बताया कि मामला उच्च जोखिम से जुड़ा होने के कारण उन्होंने तुरंत प्रोग्राम मैनेजर प्रवीण कुमार द्विवेद्वी को सूचना दी और बताया कि शहर में जाम से बचने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनवाएं । ओमप्रकाश को झटके आ रहे थे और वह बदहवास भी थे। समय से अस्पताल लेकर पहुंचना आवश्यक था । सुनील बताते हैं कि अगर शहर में जाम मिल जाए तो जिला अस्पताल पहुंचने में डेढ़ से दो घंटे का समय भी लग सकता है। यही वजह है कि ओमप्रकाश को लेकर चलते समय ही प्रोग्राम मैनेजर को ग्रीन कॉरीडोर बनवाने के बारे में सूचना दे दी। पॉयलट राजेश यादव ने भी पूरी तेजी के साथ एंबुलेंस ड्राइव किया। प्रोग्राम मैनेजर प्रवीण कुमार द्विवेद्वी ने बताया कि ग्रीन कॉरीडोर बनाने के लिए उन्होंने ट्रैफिक कंट्रोल रूम को सूचना दी और ट्रैफिक पुलिस सक्रिय हो गयी। शहर के भीतर देवरिया गोरखपुर मार्ग से लेकर मोहद्दीपुर होते हुए जिला अस्पताल तक कॉरिडोर बनाया गया और एंबुलेंस 45 मिनट में ही जिला अस्पताल पहुंच गयी। अगर यह कॉरिडोर नहीं होता तो शाम को लगने वाले जाम में एंबुलेंस फंस सकती थी। ओमप्रकाश के बेटे अजीत ने बताया कि उनके पिता का जिला अस्पताल में इलाज हुआ और वह ठीक हो गये। इसके बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया । अब वह ठीक हैं। यह सब संभव न हो पाता अगर चिकित्सक, एंबुलेंस और पुलिस का सहयोग न मिलता । जिले में 108 नंबर की 46 एंबुलेंस आपदा परिस्थिति, बीमारी की गंभीर परिस्थिति और दुर्घटना के शिकार लोगों की मदद के लिए कार्य कर रही हैं। पुलिस के साथ समन्वय में विशेष परिस्थिति में ग्रीन कॉरिडोर बना कर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। ग्रीन कॉरिडोर बनवाने की परिकल्पना जिले के एसएसपी विपिन टांडा, एसपी ट्रैफिक एमपी सिंह और मैंने मिलकर चर्चा के उपरांत गोरखपुर में किया। इस पहल में स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सीएमओ डाक्टर आशुतोष कुमार दूबे की अहम भूमिका रही है ।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< प्रेमी के लिए कलयुगी बेटी ने मां-बाप को ठुकराया तो पिता ने थाने में चिट्ठी के जरिए दिया ऐसा जवाब कि.......
स्कूलों में सुरक्षा के हो रहे दावे लेकिन सैदपुर के 174 में से 80 विद्यालय अब तक हैं चहारदीवारी व गेटविहीन >>