फ्लॉप साबित होती जा रही स्कूलों की कायाकल्प योजना, अधिकांश विद्यालयों में नहीं हो पाए बेहद आवश्यक काम



बिंदेश्वरी सिंह की खास खबर



खानपुर। परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधरने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई कायाकल्प योजना भी नाकाम साबित हो रही है। सैदपुर विकास खंड के ज्यादातर परिषदीय विद्यालय कायाकल्प के 19 पैरामीटर को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। कायाकल्प के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए 19 बिंदुओं को निर्धारित किया गया है। विद्यालयों की रंगाई-पुताई से लेकर शौचालय, कक्षा, चहारदीवारी निर्माण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। दिव्यांगों के लिए भी रैम्प और रेलिंग बनाने का प्रावधान है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के किसी भी विद्यालय के सभी कार्य पूर्ण नहीं कराए जा सके हैं। अधिकांश विद्यालयों में काम आधा अधूरा ही पड़ा हुआ है। कहीं शौचालय तो कहीं रसोईघर तो कहीं हैंडवाश यूनिट जैसे महत्वपूर्ण कार्य अब तक शुरू ही नहीं हुए हैं। सभी विद्यालयों में ग्राम पंचायत से ड्रिंकिंग वाटर, बालक व बालिका शौचालय व यूरेनल, टाइलिंग, रनिंग वाटर, दिव्यांग शौचालय, कक्षाओं में टाइलिंग, टॉप रनिंग वाटर, किचन सुंदरीकरण एवं बाउंड्रीवाल कराया जाना है। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग से मल्टीपल हैंडवाश, ब्लैकबोर्ड, रंगाई-पोताई, रैंप, बिजली की व्यवस्था व बिजली कनेक्शन की व्यवस्था कराना है। उक्त सभी बिंदु पर सभी विद्यालयों में कुछ न कुछ छूटा हुआ है। सैदपुर ब्लाक के ग्रामीण इलाकों के 174 विद्यालयों में एक विद्यालय में शुद्ध पेयजल व सबमर्सिबल नही है। पांच स्कूलों में बालकों का शौचालय और सात स्कूलों में बालिकाओं के शौचालय नहीं है। 65 स्कूलों के शौचालय व मूत्रालय में जलापूर्ति नहीं हो पा रही तो 71 स्कूलों के शौचालय मूत्रालय में टाइल्स नहीं लगे हैं। 31 विद्यालयों में दिव्यांग शुलभ शौचालय नहीं है तो 37 स्कूलों में मल्टीपल हैंडवाश यूनिट का अभाव है। 62 परिषदीय विद्यालयों के कक्षा कक्ष में फर्श पर टाइल्स नही लगे है। नौ विद्यालयों में आज तक रसोईघर नहीं बन पाये है। ब्लाक के छह स्कूलों की कक्षाओं में इलेक्ट्रिक वायरिंग और विद्युत उपकरणों का अभाव है। 12 विद्यालयों में अभी तक विद्युत संयोजन नहीं किया जा सका है। 85 स्कूलों में बालकों के मूत्रालय नहीं बने हैं तो 93 स्कूलों में बालिकाओं के मूत्रालय नहीं है। 124 विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई के लिए फर्नीचर और डेस्क-बेंच का अभाव है। 26 स्कूलों में सबमर्सिबल व नल जल की व्यवस्था नहीं है। 80 विद्यालयों परिसर में चहारदीवारी और गेट नही लगे हैं। मानसून की आहट आ चुकी है लेकिन अभी तक किसी भी विद्यालय में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की गई है।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< बाल श्रमिकों की मुक्ति के लिए पहुंची टीम, 5 स्थानों पर काम कर रहे 6 बाल मजदूरों का जुटाया डेटा, दी नोटिस
दहेज की बलिवेदी पर चढ़ी विवाहिता, दहेज लोभियों ने ले ली जान, पति व सास पर मुकदमा दर्ज, पति गिरफ्तार >>