खुद की मिसाल देकर छोटे परिवार के बड़े फायदे गिना रहीं जीता, जुड़ रहे लाभार्थी
गोरखपुर। बसंतपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी आशा कार्यकर्ता जीता देवी खुद की नजीर पेश कर समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे समझाने के साथ ही परिवार नियोजन के साधन अपनाने को प्रेरित करने में जुटी हैं। उनके इस प्रयोग से जहां क्षेत्र की 25 महिलाओं ने नसबंदी की स्थायी सेवा को चुना, वहीं क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोग अस्थायी सेवाओं के प्रति भी रूचि दिखा रहे हैं। जीता देवी से बात कर लोगों के मन में परिवार नियोजन सेवाओं को लेकर बैठी भ्रांतियां भी दूर हो रही हैं। 2016 में आशा कार्यकर्ता के तौर पर कार्य शुरू करने वाली जीता देवी बताती हैं कि उनके मन में बचपन से ही स्वास्थ्य सेवा से जुड़ने की इच्छा थी। इंटरमीडिएट पास करने के बाद जब शादी हुई तो उन्हें आशा कार्यकर्ता की वैकेंसी के बारे में पता चला। उनके पति इलेक्ट्रिशियन हैं और वह आशा कार्यकर्ता की भूमिका में हैं। उन्होंने खुद समझदारी दिखायी और दो बच्चों के बाद ही परिवार नियोजन का अस्थायी साधन अपना लिया। उनका एक बेटा 21 साल का है तो दूसरा बेटा 16 साल का। उनका यह निर्णय क्षेत्र में परिवार नियोजन के प्रति लाभार्थियों को प्रेरित करने में काफी कारगर है। जीता देवी के हनुमानगढ़ी क्षेत्र में 1607 परिवार रहते हैं, जबकि डोमखाना इलाके में 463 लोगों की आबादी है। क्षेत्र में जन जागरूकता का अभाव है, इसलिए लोग परिवार नियोजन की महत्ता नहीं समझ पा रहे थे। जीता देवी बताती हैं कि जब काम शुरू किया तो बड़ी दिक्कत होती थी। धीरे-धीरे जब पहचान बन गयी तो काम आसान हो गया। नसबंदी सेवा में सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि बहुत से लोग कहते थे कि उनके यहां आपरेशन नहीं सहता है, इसलिए नसबंदी नहीं करवाएंगे। जीता देवी ने ऐसे परिवारों को समझाया कि अगर बच्चा सामान्य न हो तो सर्जरी तो करवानी ही पड़ती है। ऐसे में नसबंदी करवाने में कोई दिक्कत नहीं है। लोग मान भी गये। वह बताती हैं कि कोविड काल में लॉकडाउन के दौरान लाभार्थियों ने फोन करके उनसे परिवार नियोजन के साधन मांगे और वह खुद भी घर-घर गईं और महिलाओं से बात कर उन्हें अस्थायी साधन उपलब्ध कराएं।