कोरोना टीकाकरण हुआ 100 करोड़ के पार, गोरखपुर ने भी दिखाया 30 लाख का दम





गोरखपुर। भारत ने 100 करोड़ कोविड टीकाकरण के आंकड़े को पार कर लिया है। इस उपलब्धि पर स्वास्थ्य महकमा भी उत्साह से लबरेज है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने सभी आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, पार्टनर संस्थाओं, चिकित्सा अधिकारियों और कोविड टीकाकरण से संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को बधाई देते हुए उनके जज्बे की सराहना की है। जिले में 30.83 लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है और आंकड़ों के लिहाज से गोरखपुर का प्रदेश में चौथा स्थान है। बताया कि जिले में 22.94 लाख से अधिक लोगों को कोविड टीके की पहली डोज लगी है, जबकि 7.89 लाख से अधिक लोगों को दूसरी डोज भी लगाई जा चुकी है। करीब एक लाख से अधिक लोग ऐसे हैं जिनकी दूसरी डोज ड्यू है। ऐसे सभी लोगों से मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपील की है कि वह कोविड टीके की दूसरी डोज अवश्य लगवा लें। कोविड से बचाव के लिए यह अनिवार्य है। टीका लगवाने के बाद भी कोविड नियमों का सख्ती से पालन करें। त्योहारों को ध्यान में रखते हुए मास्क लगाना और शारीरिक दूरी का पालन करना बिल्कुल न भूलें। बता दें कि जिले में जब 16 जनवरी को कोविड टीकाकरण शुरू हुआ तो सबसे पहले टीका लगवाने के लिए सामने आए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज कुमार पाण्डेय। उनकी इस पहल के बारे में जब जिले के बाकी स्वास्थ्यकर्मियों को पता चला तो टीकाकरण का ग्राफ बढ़ा। जिले में 51 हजार 566 स्वास्थ्यकर्मियों ने टीकाकरण करवाया जबकि 46 हजार 231 अंग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं ने भी टीका लगवा लिया। डॉ. पांडेय का कहना है कि चिकित्सक होने के नाते उन्हें पता था कि टीका लगने के बाद हल्का फुल्का बुखार होता है और इससे कोई दिक्कत नहीं होती। वह स्वीकार करते हैं कि उनके अनुभवों को जानने के बाद बहुत सारे स्वास्थ्यकर्मी टीका लगवाने के लिए आगे आए। उन्होंने बताया कि गोरखपुर की एक सबसे अच्छी उपलब्धि ट्रांसजेंडर्स और बिना पहचान पत्र वाले लोगों का टीकाकरण है, जो करीब 2000 पार हो चुका है। ऐसे लोगों की पहचान के तौर पर कई संस्थाएं आगे आईं जिनकी मदद से यह संभव हो पाया। जिले में निजी अस्पतालों के टीकाकरण के प्रति रूझान से भी काम आसान हुआ। इसी माह केयर इंडिया के सहयोग से आरम्भ हुए टीका एक्सप्रेस के द्वारा दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों के निवासियों के टीकाकरण में आसानी हुई है। जंगल कौड़िया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम विनीता वर्मा दो साल की छोटी बच्ची को संभालते हुए टीकाकरण की मुहिम से जुड़ी हुई हैं। वह सुबह आठ बजे पीएचसी के लिए ऑटो से निकल पड़ती हैं और शाम को सात बजे तक वापस आती हैं। दिन भर बिटिया गुनगुन की देखभाल उनकी बुआ करती हैं। विनीता बताती हैं कि चूंकि रास्ते में ट्रैफिक जाम लगता है इसलिए सत्र के लिए समय से काफी पहले निकलना पड़ता है। घर आने के बाद कोविड प्रोटोकॉल के तहत स्नान करने के बाद ही बिटिया के पास जाती हैं। कार्य चुनौतीपूर्ण है लेकिन इसे करने का संतोष भी है। लोगों की भीड़ के दबाव में काम करने में काफी दिक्कत होती है, लेकिन उच्चाधिकारियों के सहयोग से लोगों की सेवा संभव हो पा रही है।



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