लक्षण दिखे तो कुष्ठ की अवश्य कराएं जांच, सम्पूर्ण इलाज देने के लिए जिले में चल रहा है सक्रिय कुष्ठ रोगी खोजी अभियान
गोरखपुर। अगर शरीर के किसी भी हिस्से पर कोई सुन्न दाग धब्बा हो जिसका रंग चमड़ी के रंग से हल्का हो तो यह कुष्ठ लोग का लक्षण है । ऐसे लक्षण वाले लोगों को कुष्ठ की जांच करानी चाहिए । बीमारी पता चलने पर इसका सम्पूर्ण इलाज संभव है । इसी उद्देश्य से जिले में सक्रिय कुष्ठ रोगी खोजी अभियान शुरू हुआ है जो पूरे सितम्बर माह में चलेगा । अभियान के दौरान 13.11 लाख की आबादी के बीच कुष्ठ रोगी खोजे जा रहे हैं । यह जानकारी जिला कुष्ठ निवारण अधिकारी डॉ गणेश यादव ने दी । जिला कुष्ठ निवारण अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2021-22 में 29.04 लाख की आबादी के बीच अभियान चला था जिसमें 79 नये कुष्ठ रोगी मिले थे । वर्ष 2022-23 में 13.11 लाख की आबादी के बीच चले अभियान में 34 नये कुष्ठ रोगी मिले थे। इस बार एक सितम्बर से अभियान शुरू हुआ है जिसमें और नये कुष्ठ रोगियों को खोजने का प्रयास है । समय से कुष्ठ रोग की पहचान और इलाज न होने से यह दिव्यांगता का रूप ले सकता है । डॉ यादव ने बताया कि नये कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए 1311 टीम बनी है। प्रत्येक टीम में आशा कार्यकर्ता के साथ एक पुरूष कार्यकर्ता भी रखा गया है । आशा कार्यकर्ता संभावित महिला रोगी की एकांत में जांच करेंगी जबकि पुरुष कार्यकर्ता पुरूषों की जांच करते हैं । कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों से सरकारी प्रावधानों के अनुसार इलाज शुरू कराया जाता है । जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता समेत अन्य जिला स्तरीय सहयोगियों से अभियान का सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करवाया जा रहा है । अभियान से जुड़ीं चरगांवा ब्लॉक के खुटहन खास गांव की आशा कार्यकर्ता लक्ष्मीना और दीना ने बताया कि घर घर जाकर लोगों को लक्षणों के बारे में बता रहे हैं। संभावित मरीजों को के दाग धब्बों की संवेदनशीलता की जांच की जाती है । अगर किसी में सुन्न दाग धब्बों की पहचान होती है तो उसे ब्लॉक स्तरीय अस्पताल ले जाकर इलाज शुरू करवाना है। डॉ यादव ने बताया कि कुष्ठ रोग दो प्रकार के होते हैं। अगर शरीर में सुन्न दाग धब्बों की संख्या पांच या इससे कम हैं और बीमारी में नसें शामिल नहीं हैं तो इसे पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोग कहते हैं । यह रोग इलाज के बाद छह माह में ठीक हो जाता है । अगर शरीर पर सुन्न दाग धब्बों की संख्या पांच से अधिक है और नसें भी प्रभावित हुई हैं तो यह मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोग रोग होता है और इसके इलाज में बारह माह लगते हैं । कुष्ठ न तो छुआछूत की बीमारी है और न ही अनुवांशिक। समय से पहचान होने पर इसका सम्पूर्ण इलाज संभव है ।