ठंड के साथ बढ़ती गलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को किया सतर्क, सीएमओ ने उच्च जोखिम समूहों से की अपील
गोरखपुर। ठंड के साथ बढ़ती हुई गलन को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क किया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बीमारों, बुजुर्गों, बच्चों, नवजात शिशुओं, गर्भवती, हृदय रोगी, सांस के रोगी, टीबी रोगी, मधुमेह रोगी और ब्लड प्रेशर रोगी जैसे उच्च जोखिम समूह का इस मौसम में विशेष ध्यान रखने को कहा है। एक वीडियो अपील के माध्यम से सीएमओ ने बीपी, शुगर और टीबी के मरीजों को खानपान का विशेष ध्यान रखने और नियमित दवा सेवन करने के लिए कहा है। सीएमओ ने बताया कि इस मौसम में सिंगल मोटा कपड़ा पहनने की बजाय कई स्तर के कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि जो कपड़ों के बीच में हवा ट्रैप होती है वह एयर कंडीशनर का काम करती है। इसके साथ ही खानपान संयमित रखना है। लोगों में भ्रांति है कि इस सीजन में कुछ भी खा लेंगे तो पच जाएगा, जबकि ऐसा नहीं है। असंतुलित खानपान से मधुमेह मरीजों में मधुमेह का स्तर बढ़ जाता है। ज्यादा नमक के सेवन से ब्लड प्रेशर के मरीज का रक्तचाप बढ़ जाता है। इस मौसम में ज्यादा खानपान से लोगों का पेट भी खराब हो जाता है। बताया कि ठंड में लोग अक्सर पानी पीना कम कर देते हैं, जबकि शरीर के सामान्य मेटाबोलिज्म के लिए दो से तीन लीटर पानी हर मौसम में पीना अनिवार्य है। लोग इस समय भी पर्याप्त गुनगुना पानी पिएं। शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीज प्रत्येक 15 दिन पर अपने चिकित्सक से परामर्श लें और नियमित जांच भी करवाते रहें। दवाओं का सेवन बंद नहीं होना चाहिए। गठिया के मरीजों को भी रक्त नलिकाएं सिकुड़ने की वजह से परेशानी हो सकती है। ऐसे मरीजों को भी आवश्यक दवा, सिंकाई और सही ढंग से कपड़े पहनना चाहिए। डॉ दूबे ने बताया कि मौसम में शुष्कता के कारण चर्म रोग भी हो सकते हैं, इसलिए त्वचा का विशेष ध्यान रखें। ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण हृदयघात और मस्तिष्कघात के मामले भी बढ़ जाते हैं। इसलिए एकाएक शरीर के तापमान में बदलाव से बचना चाहिए। छोटे बच्चों को लोग बहुत ज्यादा कपड़ा पहना देते हैं, जिससे भीतर ही वह पसीने से तर हो जाते हैं। बच्चे कपड़े में ही मल मूत्र त्याग कर देर तक पड़े रहते हैं। बहुत सारे बच्चे ठंड में जमीन पर खेलते हैं। इन तीनों स्थितियों से बचाव करना होगा, क्योंकि यह बच्चों को बीमार बना सकते हैं। ठंड से बचाव के साथ साथ बच्चों की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मौसम में बच्चों में डायरिया और निमोनिया की आशंका बढ़ जाती है। इन बीमारियों का लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क किया जाना चाहिए। सांस के मरीजों में उनकी सांस की नलियां सिकुड़ने के कारण दिक्कत हो सकती है। ऐसे लोगों की सांस फूलती है, खांसी आती है। खासतौर से जो लोग सिगरेट या बीड़ी पीते हैं उन्हें क्रानिक ब्रांकाइटिस व अस्थमा की दिक्कत हो जाती है। सीएमओ ने बताया कि इस मौसम में वातावरण में प्रदूषण बढ़ जाता है। जो भी प्रदूषित कण होते हैं, वह श्वसन तंत्र से हमारे शरीर के भीतर जाते हैं। ऐसे में जब तक धुंध और बदली रहे कोशिश करें कि घर के बाहर न जाएं। बाहर निकलना हो तो शरीर को पूरा ढंककर निकलें। धूप निकलने पर ही टहलें। घरों के भीतर अंगीठी और कोयला जलाएं तो हवा गुजरने की भी व्यवस्था कर लें, अन्यथा ऑक्सीजन कम होने से दुर्घटना हो सकती है। कमरे के खिड़की दरवाजे बंद कर अंगीठी या कोयला जला कर न सोएं। मधुमेह के मरीजों को पेरिफेरल न्यूरोपैथी होती है, इसलिए उन्हें दूर से आग सेंकना चाहिए, नहीं तो हाथ पैर जल सकते हैं। घर के अंदर सोते समय हीटर न जलाएं। अगर जला रहे हैं तो उसके सामने पात्र में पानी रख दें ताकि कमरे आद्रता बनी रहे। बंद कमरे में धूम्रपान न करने दें। सीएमओ डॉ दूबे ने बताया कि अस्पतालों के खिड़की दरवाजों की मरम्मत हो चुकी है। हीटर की पर्याप्त व्यवस्था है। मरीजों को कम्बल भी दिये जा रहे हैं। प्रमुख अस्पतालों पर नगर निकायों के सहयोग से अलाव की व्यवस्था है। मधुमेह, बीपी और अस्थमा के मरीजों को एक बार में एक माह की दवा देने का निर्देश है ताकि उन्हें बार-बार अस्पताल न आना पड़े। हृदय रोग, सांस रोग से संबंधित सभी उपकरण क्रियाशील हैं।