सुखद : शादियों व तिलक में मंगल गीत गाकर महिलाएं कर रहीं मतदान के लिए जागरूक
विंधेश्वरी सिंह की खास खबर
खानपुर। लोक संस्कृति में गीत संगीत का बड़ा महत्व होता है। महिलाएं अपने हर पूजा पाठ, व्रत कथा, मांगलिक कार्य एवं तीज त्योहार में अपने गीतों के माध्यम से सम सामयिक विचारों को समाज के सामने लाती हैं। चुनावी माहौल और शादी विवाह के मौसम में भी महिलाएं अपने सृजनात्मक परंपरा को कायम रखते हुए शादी विवाह और तिलकोत्सव में गीत के माध्यम से लोगों को वोट देने की अपील कर रहीं है। इन दिनों ’दहेज भले कम लइहा पर वोट देवे जइहा जरूर, मेला चाहे मत घूमहिया पिया बूथ पर ले जइहा जरूर’ जैसे बोल वाले गीत तिलक समारोहों में गूंज रहे है। महिलाओं को अपने साज श्रृंगार से बहुत गहरा लगाव रहता है अपने हर तीज त्योहार और मांगलिक माहौल में अपने सजने संवरने पर एक गीत जरूर गातीं है। इस चुनावी माहौल में ’सोलह सिंगार सजना के, एगो अपने सरकार के, अंगुली पर लागल साही, सोभेला सिंगार के’ गाकर अपने कर्तव्य बोध को जता रहीं है। विवाह मंडप में विवाहिता कन्याओं की ओर से ’घर बर दिहलें बाबू कन्यादान कईके, बनइहा सरकार बाबा मतदान कईके’ गाकर अपने स्वजनों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहीं है। महिलाएं अपने वोट के महत्व को अपने सहेलियों से साझा करते ‘चला सखी वोट क मेला आइल बा, सात के वोटिंग क बेला आइल बा’ गाकर अपने मित्रमण्डली को वोट के लिए आग्रह कर रहीं हैं। मंगल गीतों में महिलाएं अपने परिवार के पुरुष सदस्यों को भी इस नेक कार्य के लिए जागरूक करते हुए “बाबा बर चुनिहा घर बार देखी के, वोट दीहा नेता ईमानदार देखी के“ गाकर उनके कर्तव्य और अपने भविष्य के लिए ईमानदार उम्मीदवार के चयन को संकल्प कर रहीं है।