जल संरक्षण तो दूर आरओ के नाम पर रोजाना नालियों में बह रहा लाखों लीटर पानी, एनजीटी के आदेश के बाद भी सोए हैं अधिकारी



बिंदेश्वरी सिंह की खास खबर



खानपुर। क्षेत्र में भीषण गर्मी का लगातार प्रकोप बढ़ रहा है। अभी तीखी गर्मी के बीतने में करीब एक माह व गर्मी के पूरी तरह से बीतने में करीब 3 माह का समय है। लेकिन अभी से ही क्षेत्र में पेयजल की किल्लत शुरू हो गई है। जिसके चलते लोगों में चिंता व्याप्त है। जल संरक्षण के अभाव में पानी का संचयन भी न के बराबर है। वहीं शुद्ध पानी के नाम पर क्षेत्र के अवैध रूप से चल रहे आरओ प्लांटों द्वारा रोजाना हजारों लीटर पेयजल सड़कों और नालियों में बहा दिया जा रहा है। आरओ जिस सिस्टम के तहत कार्य करता है इसमें पानी के शुद्धीकरण के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस सिस्टम से सौ लीटर पानी में केवल 40 लीटर पानी ही शुद्ध किया जा सकता है। जिससे बाकी के बचे हुए 60 लीटर पानी को सड़कों या नाली में बहाकर बर्बाद कर दिया जाता है। लेकिन प्रशासन अथवा शासन रोजाना हो रही पानी की इस भीषण बर्बादी को रोकने के लिए न तो कोई ठोस कदम उठा रहा है और न ही अवैध रूप से बिना लाइसेंस के संचालित होने वाले इन आरओ प्लांटों के खिलाफ कोई कार्रवाई ही कर रहा है। इस बाबत स्थानीय डॉ. आशुतोष पांडेय ने बताया कि आरो सिस्टम डोमेस्टिक वॉटर प्योरिफिकेशन के लिए काम करता है। इसमें रिवर्स ऑस्मोसिक की प्रक्रिया से पानी को साफ किया जाता है। ऐसे में ये पानी शुद्ध तो हो जाता है लेकिन पानी में टीडीएस की मात्रा आवश्यकता से भी कम हो जाती है जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। पानी को साफ करने की इस प्रक्रिया में मशीन पानी में मौजूद शरीर के लिए आवश्यक मिनरल्स और अन्य तत्व भी गंदगी के साथ बाहर कर देता है जिसका मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। लगातार इस पानी का सेवन करने वालों की हड्डियां भी कमजोर होने लगती हैं। हैरत की बात ये है कि एनजीटी द्वारा सरकार को निर्देश दिया गया है कि जहां पर पानी में आर्सेनिक न हो वहां पर आरओ प्लांट की अनुमति न दी जाए इसके बावजूद अब भी धड़ल्ले से ऐसे कुछ प्लांट हैं जो बिना अनुमति के भी चल रहे हैं। डा. पांडेय ने बताया कि शुद्ध करने के दौरान निकले 60 प्रतिशत पानी को भी अन्य कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है।



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