सिधौना : खानपुर थाने के उर्दू अनुवादक की सेवानिवृत्ति से जिले में पड़ा उर्दू अनुवादकों का अकाल, जिले में बचे गिने-चुने कर्मी
सिधौना। खानपुर थाने में बतौर उर्दू अनुवादक रहे असलम खान की सेवानिवृत्ति के बाद अब गाजीपुर पुलिस के पास गिने चुने ही उर्दू अनुवादक बचे हैं। जिसके चलते आने वाले समय में पुलिस को भी इस कमी की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि ‘पुलिस गश्त में मामूर थी तभी जरिये मुखबिर मालूम हुआ कि एक नफर अभियुक्त मयमाल मौजूद है। हमने हमरान सिपाहियान के साथ मिलकर उसे पकड़ा है। उसका हश्म हुलिया जैल में है।’ इस फर्द यानी लिखित इस सूचना की भाषा का उपयोग रोजाना थानों में होता है। जिससे नए पुलिसकर्मियों को इसे समझने में अब कठिनाई हो रही है। व्याख्यान में नए पुलिसकर्मियों के लिए ये स्थिति है कि उन्हें इस भाषा को समझने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। राज्य गठन के बाद जब प्रदेश में कर्मचारियों का बंटवारा हुआ तो उसमें कई उर्दू अनुवादक भी शामिल थे। इनका मुख्य कार्य पुलिस के कार्यों से संबंधित ब्योरे का उर्दू में अनुवाद करना था। समय के साथ प्रदेश में उर्दू का कार्य नगण्य हो गया। जिससे उर्दू अनुवादकों के सामने गंभीर संकट उत्पन्न हो गया। वस्तु स्थिति यह है कि कार्य समाप्त होने के कारण उनके सामने पदोन्नति व वेतन बढ़ोतरी के रास्ते भी बंद होने लगे। ऐेस में आज पुलिस थानों में उर्दू या फारसी में लिखित शिकायत आने बंद हो गए है। साथ ही उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति भी बंद कर दी गई है।