गाजीपुर : जिले में 2 से 15 सितंबर तक चलेगा कुष्ठ रोगी खोजी अभियान, भी अधिकारियों को वर्कशॉप में दिया गया प्रशिक्षण





ग़ाज़ीपुर। पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर कुष्ठ रोगी खोजी अभियान 2 से 15 सितम्बर तक संचालित होना है। जिसको लेकर इस प्रोग्राम को बेहतर बनाने के लिए लगातार चिकित्सा अधिकारियों की बैठक की जा रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल की अध्यक्षता में दो दिवसीय वर्कशाप का आयोजन किया गया। जिसमें जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ रामकुमार और उप जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ मुंशीलाल ने आए हुए लोगों को प्रशिक्षित किया। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि जनपद में 2 से 15 सितंबर तक कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया जाना है। जिसको लेकर दो दिवसीय प्रशिक्षण के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। बैठक में जनपद के सभी चिकित्सा अधिकारी बीसीपीएम व अन्य लोग मौजूद रहे। इस दौरान उन्हें अभियान में मरीजों को किस तरह से खोजा जाना है, इसकी बारीकियां बताई गईं। बताया कि इसके पूर्व 21 दिसंबर से 4 जनवरी तक कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया गया था, जिसमें घर-घर जाकर 62 मरीजों को चिन्हित किया गया था और सभी को विभाग द्वारा निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई गई। वहीं अगर अब तक के रिकॉर्ड की बात करें तो जनपद में कुल 173 मरीज का इलाज चल रहा है। जिसमें पीबी 51 और 122 एमबी मरीज हैं। पीबी मरीजों की दवा 6 माह और एमबी मरीजों का दवा 1 साल तक चलाई जाती है। बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए कुल 3749 टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम में आशा/आंगनबाड़ी और एक पुरुष कार्यकर्ता शामिल रहेगा, जो पल्स पोलियो की तर्ज पर घर-घर जाकर संभावित कुष्ठ रोगियों की जांच करेगा। बताया कि इन सभी टीमों की निगरानी के लिए 758 सुपरवाइजर भी नियुक्त किए गए हैं। बताया कि कुष्ठ रोगी खोजी अभियान में काम करने वाली आशा आंगनबाड़ी को 250 रूपए का मानदेय दिया जाता है और जिन आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 6 माह तक पीबी मरीज को दवा खिलाई जाती है तो उन्हें 400 व एमबी मरीज को दवा खिलाने पर 600 रूपए दिए जाते हैं। बताया कि यदि दिव्यांग और पैर में शून्यता वाले मरीज मिलते हैं तो उन्हें विभाग की तरफ से निःशुल्क एमसीआर चप्पल भी दिया जाता है। इस अभियान में धार्मिक, राजनीतिक और शैक्षिक क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों का भी सहयोग लिया जाएगा। क्योंकि ऐसे लोग अपने-अपने क्षेत्र में काफी प्रभाव रखते हैं और लोग इनकी बातों को भी सुनते हैं। इसलिए ऐसे लोगों को इस कार्यक्रम से जोड़ने का शासन ने एक प्रयास किया है।



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