मानस का अनुकरण करने वाला प्राणी नहीं होता निराश - पंडित आमोद





जखनियां। क्षेत्र के परसपुर, बुढ़ानपुर स्थित दुर्गेश्वर महादेव शिव मंदिर पर चल रहे राम चरित मानस पाठ का हवन-पूजन और महाप्रसाद वितरण के बाद समापन हो गया। समापन अवसर पर जुटे भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य पंडित आमोद पान्डेय ने कहा कि मानव को संस्कारयुक्त जीवन जीने का जैसा सन्मार्ग श्री रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने दिखाया है, वैसा अन्यत्र दुर्लभ है। मानस मानवीय गुणों का बोध कराने में सक्षम है। मानस का अनुकरण करने वाला व्यक्ति कभी निराश नहीं होता। उन्होंने यह कहा कि रामचरितमानस न केवल हमारा धर्मग्रंथ है, अपितु उसके श्रवण-पाठन से भी मनुष्य को जीवन जीने की दृष्टि भी मिलती है। इस दिव्य ग्रंथ में प्रभु श्री राम जी के जीवन चरित्र का अनुसरण करते हुए हम सभी अपने-अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। इस अवसर पर राधेश्याम जायसवाल, सोनू जायसवाल, कृष्ण कुमार पांडे, गौरीशंकर, कैलाश, सूरज इत्यादि सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।



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