सिद्धपीठ हथियाराम मठ में परंपरागत ढंग से मना अक्षय नवमी का पर्व, लोगों में बंटा आंवले के नीचे बना अमृतमयी प्रसाद
गाजीपुर। सिद्धपीठ हथियाराम मठ में मंगलवार को अक्षय नवमी परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई गई। पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति महाराज ने वैदिक ब्राह्मणों और आगंतुक श्रद्धालुओं के साथ विधिवत आंवला वृक्ष की पूजा करने के बाद आंवला वृक्ष के नीचे बने भोजन को श्रद्धालुओं के साथ प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया। अक्षय नवमी की महत्ता बताते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार आंवला में मां धात्री का निवास है, वह अमृत की स्रोत हैं, इसलिए आंवला वृक्ष के नीचे भोजन पकाने से वह अमृतमय हो जाता है। आयुर्वेदाचार्य चरक ने शारीरिक अवनति को रोकने वाले अवस्थास्थापक द्रव्यों में आंवला को सबसे प्रधान बताया है। कार्तिक मास की अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से तथा उसके नीचे भोजन बनाकर ग्रहण करने और दूसरों को कराने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में आंवले से बनी वस्तुओं का सेवन व आंवले के वृक्ष की सेवा अक्षय पुण्य प्रदाता मानी गई है। बताया कि आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन से पूर्णिमा तक आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाने व ग्रहण करने की परंपरा है। सिद्धपीठ हथियाराम में यह परंपरा आज भी कायम है। इस दिन आंवले को खाना अमृत पीने के समान माना गया है। अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है। इस दौरान देवरहा बाबा, डॉ. सानंद सिंह, रणजीत सिंह, डा. संतोष मिश्रा, राजकमल सिंह, झुन्ना सिंह, लौटू प्रजापति, अजीत आदि रहे।