सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ आयोजन





सादात। श्रीमद्भागवत कथा का मानव जीवन में बड़ा ही महत्व है। इस कथा का श्रवण करने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होने के साथ ही मन का शुद्धिकरण होता है। प्रत्येक मनुष्य को भागवत की संपूर्ण कथा का श्रवण करना चाहिए। उक्त बातें सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक रामानंद महाराज ने कही। कथा का आयोजन बापू इंटर कालेज के पूर्व प्रवक्ता स्व. प्रभुनाथ दूबे की प्रथम पुण्यतिथि पर रेलवे स्टेशन के पास स्थित उनके आवास पर आयोजित किया गया है। कहा कि श्रीमद् भागवत से भक्ति एवं भक्ति से शक्ति की प्राप्ति होती है तथा जन्म जन्मांतर के सारे विकार नष्ट होते हैं। आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास पूजा-पाठ के लिए समय का अभाव हो गया है, जो कि सही नहीं है। प्रतिदिन हमें अपनी व्यस्त दिनचर्या से प्रभु भक्ति के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए। भागवत कथा सुनने से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। इस कथा को सुनना, सुनाना और आयोजित करना, तीनों ही धर्म का कार्य है। उन्होने ईश्वर भक्ति और मुक्ति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वास्तव में भक्ति क्या है। भक्त को निरंतर भगवान का स्मरण कीर्तन करना चाहिये। कहा कि भक्ति के दो पुत्र हैं ज्ञान और वैराग्य। गोपियों को सबसे बड़ा भक्त कहा गया है, क्योंकि उनको संसार में रहकर और सामाजिक बंधन के बाद भी कृष्ण के लिये भक्ति रही। इस मौके पर आयोजक गीता दूबे, सहायक प्रवक्ता डॉ. अमिता दूबे, श्रीनिवास दूबे, पंकज दूबे, पीयूष दूबे, सुरेश वर्मा, नीरज वर्मा आदि रहे।



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