कोरोना काल के चलते पाठ्यक्रम कम करने के नाम पर सीबीएसई ने हटाई महत्वपूर्ण साहित्यकारों की रचनाएं, साहित्यकारों ने में पनपा रोष
खानपुर। क्षेत्र के सिधौना बाजार में साहित्य प्रेमियों ने सीबीएसई के पाठ्यक्रम से महान साहित्यकारों के कुछ कृतियों को हटाने पर रोष प्रकट किया है। लेखक डॉ रामजी बागी ने कहा कि वर्तमान इंटरनेट युग में जब हिंदी साहित्य संक्रमणकाल में हो, उस समय महान लेखकों के साहित्य और साहित्यिक कृतियों का इस प्रकार से अनदेखी करना दुर्भाग्यपूर्ण है। सीबीएसई ने नौवीं से बारहवीं तक के सिलेबस में नए सत्र के लिये हिंदी के पाठ्यक्रम से महान साहित्यकारों महादेवी वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, विष्णु खरे की सभी और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सियाराम शरण गुप्त, केशवदास, घनानन्द जैसे मूर्धन्य लेखकों सहित कबीरदास, मीराबाई की कुछ कविताओं को निकाल दिया है। कवि प्रेमशंकर मिश्रा कहते है कि कोरोनाकाल में स्कूली पढ़ाई का समय कम मिलने से सिलेबस में कमी करना विद्यार्थियों के लिए अच्छा कदम है। परन्तु देश एवं हिंदी साहित्य के इन महान विभूतियों के कृतियों को सिरे से हटा देना गलत है। आजकल युवा पीढ़ी में इन अमर साहित्य के प्रति रुझान बढ़ाने के बजाय उनके सिलेबस से हटाना अनुचित प्रतीत होता है। उपन्यासकार डॉ विजय ज्योतिपुंज ने कहा कि व्यक्ति के अंदर पुस्तक पढ़ने की इच्छा स्कूली दिनों में ही पनपती है, जिससे स्कूली बच्चों में बाल साहित्य को बढ़ावा देना चाहिए और बाल साहित्य के लेखकों को बच्चों के रुचिनुसार अपनी लेखनी को धार देकर बच्चों को साहित्यिक पुस्तकों के पढ़ने की ओर प्रेरित करना चाहिए।