दुनिया भर में 24 को व भारत में इस साल 28 मार्च को मनेगा विश्व टीबी दिवस, ये है खास वजह





गोरखपुर। ‘हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं’ थीम के साथ इस बार 24 मार्च की बजाय 28 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाएगा। आदर्श आचार संहिता को देखते हुए इसका आयोजन सादगी से होगा। प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को यह दिवस मनाया जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि टीबी की समय से पहचान हो जाने और इलाज करवाने से यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है। पिछले पांच वर्षों में जिले में 42782 टीबी मरीज ठीक हो चुके हैं। सरकारी तंत्र में टीबी की जांच और इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। बताया कि महिलाओं, एचआईवी पीड़ितों, मधुमेह के रोगियों, मलिन बस्तियों, धूल मिट्टी में काम करने वालों, कुपोषित बच्चों, धूम्रपान करने वालों और वायु प्रदूषण वाले वातावरण में लगातार रहने वाले लोगों पर टीबी का जोखिम कहीं अधिक है। दो सप्ताह से अधिक की खांसी, लगातार सीने में दर्द, रात में पसीने के साथ बुखार, बलगम में खून आना, भूख न लगना और तेजी से वजन घटना, फेफड़े की टीबी के लक्षण हैं। सिर्फ फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है, लेकिन अगर समय से जांच कर उपचार शुरू कर दिया जाए तो तीन सप्ताह बाद इससे भी संक्रमण का खतरा टल जाता है। जिले में जांच, इलाज और पोषण की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं और आशा कार्यकर्ता की मदद से इन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। डॉ दूबे ने बताया कि टीबी के इलाज के दौरान कुछ लोग बीच में ही दवा छोड़ देते हैं, जिससे वह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीज बन जाते हैं और ऐसे मरीजों के इलाज के दौरान जटिलताएं बढ़ जाती हैं। दवा और उपचार तब तक जारी रखना है जब तक चिकित्सक द्वारा उसे बंद न किया जाए। मरीज के ठीक होने में पोषण की अहम भूमिका होती है, इसीलिए निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज चलने तक पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से दिये जाते हैं। टीबी मरीज को इलाज के दौरान दूध, अंडा, सोयाबीन, पनीर, मांस आदि प्रोटीनयुक्त भोजन का सेवन करना है। इससे जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। जिन मरीजों की आर्थिक स्थिति कमजोर है उन्हें संभ्रांत लोगों और संस्थाओं द्वारा एडॉप्ट भी कराया जा रहा है, ताकि अच्छे खानपान के साथ साथ मानसिक तौर पर खुद को मजबूत रखने में उनकी मदद की जा सके। सीएमओ ने बताया कि जिले में 24 टीबी यूनिट, 49 डीएमसी और 485 आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर टीबी की माइक्रोस्कोपिक जांच की सुविधा उपलब्ध है। जिला अस्पताल, एम्स गोरखपुर, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, सहजनवां, खोराबार, पिपराईच, गगहा, भटहट, बांसगांव और कैम्पियरगंज में ट्रूनॉट मशीन के जरिये जांच की जाती है। जिला क्षय रोग केंद्र, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और बड़हलगंज सीएचसी पर अत्याधुनिक सीबीनॉट जांच की भी सुविधा उपलब्ध है। जिले के सभी टीबी यूनिट और इलाज से जुड़े प्राइवेट अस्पतालों पर भी निक्षय पोषण योजना के लिए पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है।



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