केंद्र सरकार ने एमएसएमई उद्यमियों व व्यापारियों को दी बड़ी राहत, 45 दिनों में भुगतान नहीं मिला तो जिम्मेदार को भरना होगा टैक्स
गाजीपुर। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाई यानी एमएसएमई को बड़ी राहत दी है। नए नियम के अनुसार 45 दिनों के अंदर बकाएदारों द्वारा एमएसएमई उद्यमियों का भुगतान करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह बकाएदार की आय में जुड़ जाएगा और उसके लिए उसे स्लैब के दायरे के अनुसार आयकर चुकाना होगा। इस नए नियम के चलते अब छोटे उद्यमियों व व्यापारियों को काफी सहूलियत मिलेगी और इसका लाभ मिलेगा। वहीं बड़ी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ेंगी और उन्हें समय पर बकाया चुकाना होगा। इसके जानकारों के अनुसार, सरकार ने ऐसा नियम इसलिए शुरू किया, क्योंकि अब तक अपने ही बकाए का भुगतान पाने के लिए छोटी कंपनियों व उद्यमियों को काफी भटकना पड़ता था और बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी सुविधा के अनुसार भुगतान करती थीं और ये व्यापारी मजबूरी में कुछ कर भी नहीं पाते थे। इसके चलते एमएसएमई उद्यमियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इसके विशेषज्ञों के अनुसार, इस योजना का लाभ पाने की शर्त यही है कि पात्र व्यक्ति किसी भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाई (एमएसएमई) में रजिस्टर्ड होना चाहिए। एमएसएमई उद्यमी अगर रजिस्टर्ड है तो उसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उसका भुगतान 45 दिनों के अंदर बकाएदार को करना ही होगा। छोटी इकाईयों के लिए यह नियम काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। हालांकि अगर भुगतान को लेकर कोई विवाद चल रहा हो तो इस स्थिति में 45 दिनों के अंदर भुगतान करना आवश्यक नहीं है, लेकिन जैसे ही इस विवाद का निपटारा हो जाता है तो उस दिन से लेकर अगले 45 दिनों के अंदर भुगतान करना ही होगा। आसान शब्दों में कहें तो ‘अगर एक एमएसएमई उद्यमी ने अपना माल किसी दूसरे संस्थान, एजेंसी या किसी विभाग को सप्लाई किया है तो उस एमएसएमई निर्माता का भुगतान माल लेने के 45 दिनों के अंदर लेनदार को करना ही होगा। न करने की स्थिति में वो रूपया उसके आय में जुड़ जाएगा और उस पर स्लैब के अनुसार, आयकर लगेगा। इस मामले में प्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट चेतन तारवानी ने कहा कि इस व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बड़ी कंपनियां अब छोटी कंपनियों का भुगतान नहीं रोक सकेंगी। अब तक ऐसा होता था कि बड़ी कंपनियां महीनों तक भुगतान रोक देती थीं, जिसके चलते छोटे उद्यमियों का हाल बुरा हो जाता था। हालांकि ये लाभ एमएसएमई की उन्हीं कंपनियों या उद्यमियों को मिलेगा, जो रजिस्टर्ड होंगे। इसके लिए इकाई मालिक बिल पर अपना एमएसएमई नंबर भी डालना शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि छोटे उद्यमियों के लिए यह नियम काफी फायदेमंद है।