विकसित भारत यात्रा के तहत गाजीपुर में 4000 से अधिक की हो चुकी है गोदभराई व अन्नप्राशन संस्कार
गाजीपुर। भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लिए निर्धारित 16 संस्कारों में से दो महत्वपूर्ण संस्कार आंगनबाड़ी केंद्रों पर पूरे किए जा रहे हैं। केंद्र के क्षेत्र में आने वाली गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की रस्म का आयोजन लगातार किया जा रहा। इसके अंतर्गत पारंपरिक मंगलगीत के साथ गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की रस्म अदा की जा रही है। आंकड़ों की बात माने तो मौजूदा समय में जनपद में 4127 आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से चल रहे विकसित भारत यात्रा कार्यक्रम के अंतर्गत करीब 4000 से ऊपर गर्भवती की गोद भराई और 4000 से ऊपर बच्चों का अन्नप्राशन कराया जा चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि गोद भराई संस्कार जहां गर्भवती माताओं को सौभाग्यवती बनाता है, वहीं अन्नप्राशन संस्कार शिशुओं को मानसिक व शारीरिक रूप से विकसित करने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि संस्कार का प्रभाव व्यक्ति के चरित्र पर पड़ता है। मानव जीवन 16 संस्कारों के तहत ही संपन्न होता है। संस्कारों को बढ़ावा देने व आम लोगों को आंगनबाड़ी केंद्रों से जोड़ने के लिए महिला व बाल विकास मंत्रालय ने इसकी पहल किया था। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा गोद भराई और अन्नप्राशन कुपोषण से सुपोषण की ओर ले जाने की एक सार्थक पहल है। विभाग के इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज में यह संदेश दिया जाता है कि गर्भवती माता के गर्भ में पल रहा बच्चा देश का भविष्य है। इनको पोषण और प्रोटीन युक्त आहार देंगे तो यह स्वस्थ रहेंगे। वहीं अन्नप्राशन को लेकर बताया कि स्तनपान नवजात शिशु के लिए संजीवनी के समान है। 6 माह की उम्र पार करने के बाद दूध से बने खीर से उनका अन्नप्राशन करने का उद्देश्य होता है कि अब बच्चे को मां के दूध के साथ ही अब उसे थोड़ा-थोड़ा अन्न भी दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार की इस योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्र पर चार से सात माह की गर्भवती महिलाओ की गोद भराई के लिए सभी तरह के पारंपरिक रीति-रिवाज पूरे किए जाते हैं, ताकि महिला को घर जैसा वातावरण के साथ पोषण आहार नियमित रूप से पौष्टिकता युक्त खाद्यान्न मिले। गोद भराई कार्यक्रम से पूर्व आंगनबाड़ी केंद्र को गुलाल से रंगोलियां बनाकर सजाया जाता है। बकायदा गर्भवती महिलाओं को माला पहना व मंगलगीत के बीच मुंह मीठा कर उन्हें गोद भराई से जुड़ी अन्य सामग्री मुहैया कराई जाती है। साथ ही सुरक्षित प्रसव व शिशु के आहार चार्ट की जानकारी देकर जागरूक किया जाता है। केंद्र पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश भी दिया जा रहा है। साथ ही आसपास के गली मोहल्ले की महिलाओं को बुलाकर स्वागत व मंगल गीत गाए जाते हैं। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों के महत्व के बारे में बताया जाता है, ताकि केंद्र के प्रति लोगों का रुझान बढ़े।