टीबी मरीज के प्रत्येक निकट सम्पर्की के लिए टीबी की जांच और बचाव की दवा खाना हुआ अनिवार्य, टीबी न होने पर भी 6 माह तक खानी है दवा





गोरखपुर। एक टीबी मरीज समय से जांच और इलाज न होने पर वर्ष भर में दस से पंद्रह लोगों को टीबी से संक्रमित कर सकता है। यही वजह है कि टीबी का नया मरीज मिलने पर उसके प्रत्येक निकट संपर्की की भी टीबी जांच कराई जानी चाहिए और अगर निकट संपर्की में टीबी की पुष्टि नहीं होती है तब भी छह माह तक उसे बचाव की दवा दी जानी चाहिए। अगर टीबी की पुष्टि हो जाती है तो निकट संपर्की की भी टीबी की दवा शुरू करा देनी है। इस संबंध में जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारियों को सतत चिकित्सा शिक्षा के माध्यम से जागरूक किया गया है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया गया कि प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (पीटीपीटी) विषय पर चिकित्सा अधिकारियों का अभिमुखीकरण सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई) संस्था के सहयोग से प्रेरणा श्री सभागार में शनिवार को किया गया। उन्हें चेस्ट फिजिशियन एएन त्रिगुण ने एक्स रे तकनीकी की विस्तार जानकारी प्रदान की। साथ ही उन्हें बताया गया कि ओपीडी के कम से कम पांच फीसदी टीबी के संभावित लक्षण वाले मरीजों को टीबी जांच के लिए अवश्य रेफर करें। जो भी नये टीबी मरीज मिलते हैं उनकी कांटैक्ट ट्रेसिंग कराई जाए और उनके निकट संपर्कियों की भी टीबी जांच हो। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह ने कहा कि टीबी मरीजों को नोटिफिकेशन, टीबी सेंस्टिविटी की जांच, एचआईवी व मधुमेह जांच, टीबी उपचार सफलता दर, निक्षय पोषण योजना और डीआर टीबी के शीघ्र उपचार जैसे नौ संकेतांकों की प्रत्येक ब्लॉक में समीक्षा की जाए और अच्छे परिणाम देने के प्रयास किये जाएं। उन्होंने टीबी मुक्त पंचायत अभियान के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। सीएचआरआई के ड्रिस्ट्रिक्ट लीड अमित कुमार श्रीवास्तव ने कांटैक्ट ट्रेसिंग और टीपीटी (टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी) के लिए जीत टू प्रोजेक्ट के तहत किये जा रहे प्रयासों के बारे में बताया और इस कार्य में काउंसिलिंग की महत्ता पर जोर दिया। पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र और मिर्जा आफताब बेग ने कहा कि निजी क्षेत्र के टीबी मरीजों की भी कांटैक्ट ट्रेसिंग कराना अनिवार्य है और उनके निकट सम्पर्कियों को भी बचाव की दवा दी जानी है। इस अवसर पर उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अश्वनी चौरिया समेत सभी ब्लॉक के चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे।



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