यूनिसेफ का संदेश, चाहे कोविड हुआ हो या लगा हो कोविड का टीका, हर हाल में कराएं बच्चे को स्तनपान
गोरखपुर। धात्री महिलाओं (बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाएं) ने कोविड का टीका लगवाया हो या फिर उन्हें कोविड हुआ हो, दोनों ही सूरत में नवजात शिशु को स्तनपान कराना जारी रखना है। यूनिसेफ संस्था के जरिये आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह संदेश भेजा जा रहा है। कार्यकर्ताओं द्वारा यह संदेश समुदाय के बीच प्रसारित करने का भी दिशा-निर्देश है। जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह का कहना है कि गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को धात्री महिलाओं को स्तनपान का महत्व बताना है। कोविड काल में इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है क्योंकि स्तनपान से ही नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अगर किसी धात्री महिला ने कोविड का टीका लगवाया है तो इस बात की आशंका बहुत ही कम है कि इससे उसके दूध पैदा करने की क्षमता पर असर पड़ेगा। टीका लगवाने के बाद भी स्तनपान जारी रखना चाहिए। यह नवजात शिशुओं के साथ-साथ माताओं के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार अगर मां कोविड पॉजीटिव हैं या उनमें कोविड के लक्षण हैं तो मास्क लगा कर और हाथों की स्वच्छता के नियम को अपनाते हुए स्तनपान करा सकती हैं। अगर फिर भी दिक्कत है तो मां का दूध साफ हाथों से कटोरी में निकाल कर पान करवा सकते हैं। छह महीने तक बच्चों को मां के दूध के अलावा कोई भी चीज नहीं देनी है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिये यह संदेश भी प्रसारित करने पर जोर है कि नवजात शिशु को किसी भी हालत में डिब्बाबंद दूध या किसी अन्य जानवर का दूध नहीं देना है। पहली बार गर्भवती बनने वाली महिलाएं जानकारी के अभाव में हिचकती हैं, लेकिन यह व्यवहार बदलना होगा। बाहरी दूध को नवजात शिशु नहीं पचा पाते हैं और ऐसे में दस्त की आशंका बढ़ जाती है और इससे बच्चों का वजन भी गिरने लगता है। ऐसा होने से बच्चों के कुपोषित और बीमार होने की भी आशंका बढ़ जाती है। पहले से बीमार और कुपोषित शिशुओं के लिए और भी जटिलताएं बढ़ जाती हैं। साफ-सफाई के अभाव, साफ पानी की कमी, डिब्बे के दूध के दाम या उसका सही न होना इस खतरे को और बढ़ा देता है।