2012 में विधानसभा, 2016 में जिपं अध्यक्ष के बाद अब 2021 में ब्लॉक प्रमुख चुनाव में सपा ने फिर से खेल दिया भाजपा प्रत्याशी पर दांव, भाजपा प्रत्याशी के नामांकन न करने से माधुरी यादव की निर्विरोध जीत तय



अशोक कुशवाहा की खास खबर



देवकली। देवकली ब्लॉक प्रमुख पद के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा गाजीपुर ने जहां सैदपुर व जमानियां से प्रत्याशी घोषित न करके सपा को वॉक ओवर दे दिया, वहीं गुरूवार को भाजपा द्वारा अधिकृत प्रत्याशी ने नामांकन ही नहीं किया और सपा प्रत्याशी के निर्विरोध चुने जाने का रास्ता साफ कर दिया। देवकली ब्लॉक प्रमुख चुनाव के लिए 4 लोगों ने 6 सेट पर्चा खरीदा था। जिसके बाद गुरूवार को पूर्व ब्लॉक प्रमुख माधुरी यादव पत्नी सच्चेलाल यादव व भतीजे महेंद्र की पत्नी आशा देवी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। सास-बहू के एक साथ नामांकन करने के बाद लोगों में इस बात की खूब चर्चा है। इधर भाजपा द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार, रागिनी देवी नामांकन करने ही नहीं पहुंचीं, जबकि उन्होंने पर्चा भी खरीद लिया था। जिसके चलते देवकली ब्लॉक में सपा की अधिकृत प्रत्याशी माधुरी यादव का निर्विरोध चुना जाना तय है। क्योंकि चर्चा है कि उनकी बहू आशा द्वारा अपना पर्चा शुक्रवार को वापस ले लिया जाएगा। इधर दूसरी बार माधुरी यादव के ब्लॉक प्रमुख बनने पर सपाईयों में हर्ष का माहौल है। विधायक सुभाष पासी ने इस बाबत खुशी जाहिर करते हुए शताब्दी न्यूज से बताया कि देवकली में सपा की कद्दावर प्रत्याशी के सामने भाजपा प्रत्याशी नहीं टिक सकीं। वहीं इस अप्रत्याशित कदम के बाबत भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने कहा कि हमने लोगों को कारण जानने के लिए लगाया है। कहा कि हम पूरे जिले को देख रहे हैं, इसलिए व्यस्तता के चलते अभी इस मामले में स्पष्ट पता नहीं चल पाया है। हम पता लगा रहे हैं। वहीं इस मामले में स्थानीय भाजपा समर्थकों का कहना है कि रागिनी देवी के पहले से ही नामांकन स्थल पर न पहुंचने की बात तय थी। संभवतः उन्होंने अंदर ही अंदर माधुरी यादव को समर्थन दे दिया है। गौरतलब है कि भाजपा को यही धोखा 2016 के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भी मिला था। जब करंडा से जिला पंचायत सदस्य के रूप में हरेंद्र यादव को भाजपा ने अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया था और उनके सामने सपा से विजय यादव थे। नामांकन के बाद पता चला कि हरेंद्र यादव ने अपने पर्चे के साथ कोष पत्र की शुल्क रसीद लगाई ही नहीं थी, जिससे उनका पर्चा रद हो गया और विजय यादव निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए। जबकि हरेंद्र के नामांकन में स्वयं तत्कालीन रेलराज्य मंत्री मनोज सिन्हा समेत तमाम दिग्गज मौजूद थे। ऐसे में इस बड़े चुनाव में कोष पत्र की रसीद जैसी प्राथमिक चीज न लगाने का स्पष्ट अर्थ था कि भाजपा ने गलत प्रत्याशी पर दांव खेल दिया था। ये भी कहा जा रहा था कि हरेंद्र की विजय से सीधे करोड़ो की सांठगांठ हो गई थी, जिसके चलते उन्होंने पर्चा गलत भरने का दांव खेल दिया था। वहीं सत्ताधारी भाजपा को सपने में भी गुमान नहीं था कि उसके साथ ऐसा हो जाएगा। देवकली ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव में एक बार फिर से वही रवायत दुहरा दिए जाने के बाद 2016 की वही घटना ताजा हो गई है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके भाजपा नेता दिनेश लाल यादव के बड़े भाई व गायक सपा नेता विजय यादव ने भी 2012 के विधानसभा चुनाव में ऐसा ही कुछ किया था। उस दौरान भाजपा ने जंगीपुर से विजय को विधानसभा टिकट दिया था लेकिन नामांकन करने के बाद विजय ने अपनी दावेदारी वापस लेते हुए भाजपा से ही इस्तीफा दे दिया था। भाजपा को मिले इस दोहरे झटके के बावजूद पार्टी अब तक प्रत्याशियों को चुनने में सिद्धहस्त नहीं दिखी, जिसका खामियाजा देवकली चुनाव में माधुरी देवी के निर्विरोध निर्वाचन के बाद भुगतना पड़ा। बहरहाल, कुछ भी हो, भाजपा की इस बिना लड़ाई की हार पर सपा नेता खूब चटखारे ले रहे हैं।



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