विश्व जनसंख्या दिवस विशेष : दंपति का विश्वास जीतकर परिवार नियोजन में मददगार बन रहीं 3 आशा कार्यकर्ताएं





गोरखपुर। परिवार नियोजन के कई उपयोगी साधन मिथक और भ्रांतियों के कारण दंपति अपनाने से हिचकते हैं, लेकिन सही समय पर उचित सलाह मिल जाए तो काम बन जाता है। यह साबित कर दिखाया है जिले की तीन अलग-अलग आशा कार्यकर्ताओं ने। उन्होंने दंपति को पूरी जानकारी देकर उनका विश्वास जीता और फिर परिवार नियोजन में उनकी मददगार बन गयीं। पिपराईच ब्लॉक के सिधावल उपकेंद्र की आशा कार्यकर्ता नीता शर्मा ने महिला नसबंदी, सहजनवां ब्लॉक के बघौरा उपकेंद्र की आशा कार्यकर्ता नीलम गुप्ता ने त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और चरगांवा ब्लॉक के रामपुर चक उपकेंद्र की आशा कार्यकर्ता पूनम ने पीपीआईयूसीडी की सेवा में पिछले वर्ष जिले में कीर्तिमान स्थापित किया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने इन तीनों कार्यकर्ता को बधाई देते हुए जनपद की सभी अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह 11 से 31 जुलाई तक प्रस्तावित विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े को सफल बनाएं। उन्होंने बताया कि इस साल पखवाड़े की थीम ‘दो बच्चों में पर्याप्त अंतर से होगी मां की सेहत की पूरी देखभाल’ है। इसके अलावा इस साल विश्व जनसंख्या दिवस के स्लोगन ‘विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दंपति की शान’ के बारे में बताया। डॉ दूबे ने कहा कि यह थीम और स्लोगन तब तक सार्थक नहीं होंगे, जब तक कि प्रत्येक आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समर्पित भाव से दंपति को सेवाओं के बारे में परामर्श नहीं देंगी और साधन की उपलब्धता नहीं कराएंगी। बताया कि आशा कार्यकर्ता पूनम ने वर्ष 2006 से काम शुरू किया था। उनकी उम्र 36 वर्ष और उन्होंने खुद ही दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन अपना लिया। वह बताती हैं कि दंपति को परिवार नियोजन के सभी साधनों की जानकारी दी जाती है। खासतौर से जो गर्भवती होती हैं उनके प्रसव पूर्व जांच के दौरान ही परामर्श दिया जाता है ताकि प्रसव के बाद वह उचित साधन का चुनाव कर सकें। उन्हें बताया जाता है कि यह उनकी व बच्चे की सेहत के लिए बहुत जरूरी है। खुद के छोटे और नियोजित परिवार का उदाहरण देकर समझाना पड़ता है। ज्यादातर महिलाएं प्रसव पश्चात आईयूसीडी (पीपीआईयूसीडी) के लिए तैयार हो जाती हैं। जिन लोगों के परिजनों के मन में डर होता है कि कहीं खून की कमी न हो जाए या अन्य कोई नुकसान न हो, तो उनके परिजनों को ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा और एचईओ मनोज कुमार से परामर्श दिलवाया जाता है। इस तरह पिछले साल वह 34 महिलाओं को पीपीआईयूसीडी की सेवा दिलवाने में सफल हो सकीं। इसी तरह बाकी की दो आशाएं भी काम करती हैं।



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