‘‘हुजूर! पायल गिरवी रख लो और मेरी बेटी की जान बचा लो,’’ मेडिकल कॉलेज में दिखी अमानवीयता





प्रयागराज। मोतीलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के एसआरएन अस्पताल में भर्ती एक प्रसूता को नवजात के इलाज के लिए अपनी पायल गिरवी रखना पड़ा। लेकिन नवजात की जान नहीं बच सकी। इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने जांच कमेटी बनाई है। प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) जिले के सैदाबाद निवासी राजकुमार यादव की पत्नी को 30 अक्टूबर की दोपहर मेडिकल कालेज के एसआरएन अस्पताल में भर्ती करवाया गया। यहां डॉक्टरों ने प्रसूता की स्थिति गंभीर होने की बात कहते हुए बाहर से कई दवाएं भी मंगाई। करीब एक घंटे बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बच्चा पैदा कराया। लेकिन नवजात की हालत खराब होने के कारण उसे एनआईसीयू रेफर कर दिया गया। इस बीच डॉक्टरों ने तीमारदारों से और दवाएं मंगाई। लेकिन तीमारदारों के पास पैसे नहीं बचे थे। जिसके कारण उन्हें मेडिकल स्टोर पर प्रसूता की पायल को 1240 रुपये में गिरवी रखकर दवाएं खरीदनी पड़ी। लेकिन इस जद्दोजहद के बच्ची नवजात ने दम तोड़ दिया। तीमारदारों का आरोप है कि अस्पताल में मरीजों को दवाएं बाहर से लाने के लिए मजबूर किया जाता है। अगर डॉक्टरों ने समय पर इलाज शुरू कर दिया होता और दवाएं पहले से मौजूद होती तो बच्ची की जान बच सकती थी। मेडिकल स्टोर पर कार्य करने वाले कर्मचारी राहुल ने अपनी गलती स्वीकर की है। उसने बताया कि दवा के लिए पैसे न होने पर तीमारदार ने पायल गिरवी रखी थी। उसे बाद में छुड़ाने की बात कही थी। रुपए न होने की स्थिति में वार्ड नम्बर और मोबाइल नम्बर तीमारदारों से मांगा गया था। लेकिन तीमारदार ने खुद ही दवा के बदले पायल गिरवी रख दिया। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉक्टर एसपी सिंह ने एसआरएन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। जिसमें मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर अरविन्द गुप्ता और गाइनी विभाग की विभागध्यश्र डॉक्टर अमृता चौरसिया को शामिल किया गया है। पांच दिनों में जांच रिपोर्ट मांगी गई है।



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