अफलन व फलों के असमय झड़ जाने की समस्या से उजड़ रहे बाग बगीचे, दूसरे व्यवसाय का रूख कर रहे किसान



विंध्येश्वरी सिंह की खास खबर



खानपुर। क्षेत्र में अफलन की समस्या से शिकार होकर इन दिनों सैकड़ों बाग व बगीचे उजड़ चुके हैं। फलदार पेड़ों में सही परागण न होने और बांझपन का शिकार होकर फलों का विकास न होने से फलदार वृक्षों की लगातार घटती संख्या किसानों में एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। बीते दिनों बड़ी संख्या में आम, अमरूद, केला, बेर, इमली, कटहल, अनार आदि की बागवानी करने वाले लोग अफलन और कच्चे फलों के असमय झड़ जाने से अब दूसरे व्यवसाय की ओर रुख कर चुके हैं। भट्ठों की चिमनी से निकले धुंए और पर्यावरण प्रदूषण से बांझपन का शिकार होकर ये फलदार वृक्ष अपनी उत्पादन क्षमता तेजी से खो रहे हैं। किसानों द्वारा खेती के बदलते स्वरूप और जोतभूमि का आकार बड़ा करने के चक्कर मे बाग बगीचे के प्रति भी लोग उदासीन होते जा रहे है। अपने बागवानी में विभिन्न प्रकार के सब्जी, औषधीय, मसाले और 12 फीट ऊंचे सदाबहार लौकी का वृक्ष उगाने वाले खानपुर के किसान उमाशंकर त्रिपाठी कहते है कि कृषि के साथ बागवानी एक ऐसा माध्यम है जिससे कम से कम जमीन में भी किसानों की उत्पादन क्षमता के साथ आमदनी भी बढ़ सकती है। पेड़ों से सिर्फ पैसा ही नही अनमोल वातावरण, शुद्धता और पर्यावरण का प्रदूषण भी नियंत्रित होता है। इस बाबत सैदपुर के कृषि अधिकारी अनुराग सिंह ने कहा कि फलदार वृक्षों में समुचित प्रबंधन कर अच्छा फलोत्पादन किया जा सकता है। फलदार वृक्षों में अत्यंत सघनता, धूप, प्रकाश का अभाव, पोषण की कमी, अनुपयोगी किस्म के बीज, अनुचित परागण के कारण फलदार पेड़ो में अफलन की समस्या होती है। मिट्टी का सही आंकलन करके उत्तम किस्म के फलदार वृक्षों के साथ औषधीय और मसालों की लाभदायक और कमाऊ खेती करके पर्यावरण संतुलन के साथ साथ मुनाफा भी कमाया जा सकता है।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< 2025 तक टीबी रोग से मुक्त होगा भारत, टीबी रोगियों की पहचान के लिए घर घर जाएंगी 111 टीमें
उफ्फ! पिकप चालक की छोटी सी गलती ने ले ली महिला की जान >>