नवरात्रि में 9 देवियों के तर्ज पर जानी जाती हैं आयुर्वेद की ये 9 औषधियां, खुद राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर ने दी जानकारी





खानपुर। क्षेत्र के सिधौना में चैत्र नवरात्रि पर सिद्धनाथ धाम में दर्शन पूजन करने के लिए आयुष एवं खाद्य सुरक्षा राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र पहुंचे। वहां उन्होंने लोगों को आयुर्वेदिक औषधियों को दवा की बजाय दैनिक जीवन का बहुपयोगी साधन समझकर दैनिक जीवन में उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने सिधौना के आयुर्वेदिक वाटिका में औषधीय पौधों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दुर्गाकवच में नौ देवियों को नौ औषधि के रूप में लिया जाता है। नवरात्रि की प्रत्येक देवी आयुर्वेद में किसी न किसी बीमारी को ठीक करने के लिए प्रसिद्ध है। नौ देवियों के स्वरूप को स्वास्थ्य की संजीवनी कहा जाता है। प्रथम रूप शैलपुत्री को हरड़ माना जाता है। प्रथम रूप शैलपुत्री की तरह हरड़ को भी आयुर्वेद में प्रधान औषधि माना जाता है। उसी तरह द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी माना जाता है। तृतीय रूप चंद्रघंटा यानी चंदुसूर भी इसी श्रेणी में है। इस पौधे की पत्तियों की लाभदायक सब्जियां बनाई जाती है। चतुर्थ रूप कुष्माण्डा को पेठा यानी कोहड़ा माना जाता है। पांचवें स्वरूप स्कंदमाता के रूप में अलसी को माना जाता है, जिन्हें पार्वती एवं उमा भी कहते हैं। षष्ठम रूप कात्यायनी के रूप में मोइया को माना जाता है। उसे आयुर्वेद में माचिका भी कहते हैं। सप्तम रूप कालरात्रि को नागदौन औषधि के रूप में जाना जाता है। अष्ट रूप महागौरी को तुलसी के रूप में माना जाता है तो अंतिम रूप यानी सिद्धिदात्री को शतावरी या नारायणी रूप में सभी जानते हैं। इस मौके पर शिवाजी मिश्रा, कृष्णानंद सिंह, करुणाशंकर मिश्रा, अखिलेश मिश्र, कमलाकांत, श्रवण कुमार, अशोक सिंह आदि रहे।



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