खाली जेब के बीच मजबूर पिता ने गंवा दी 6 साल के बेटे की जान, सरकारी एंबुलेंस चालक की अमानवीयता पर भारी पड़ी अंजान मेडिकल स्टोर संचालकों की मानवता





सैदपुर। कहते हैं कि समाज ही समाज के काम आता है। ये बात सैदपुर में लोगों ने इस बात को न सिर्फ चरितार्थ किया, बल्कि ऐसे मायनों में किया, जब वो मदद लेने वाले व्यक्ति को जानते तक न थे। हुआ ये कि सैदपुर सीएचसी पर एक गरीब पिता अपने नन्हें बेटे को गंभीर हाल में लेकर आया। जहां उसकी मौत हो गई। जिसके बाद पिता बेहद हताश हो गया और बच्चे की लाश को घर कैसे ले जाए, ये सोचकर रोने लगा। उसकी हालत देखकर वहां मौजूद मेडिकल स्टोर संचालकों ने आपस में चंदा जुटाया और शव को एंबुलेंस से घर ले जाने व अंतिम संस्कार के खर्च के लिए धन जुटाकर दिया। हुआ ये कि भांवरकोल के बीरपुर गांव निवासी रामनिवास राजभर के 6 साल के पुत्र रोहित की तबीयत सुबह बिगड़ गई थी। जिसके बाद परिजन फौरन उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां हालत गंभीर देख प्राथमिकि इलाज के बाद चिकित्सकों ने बीएचयू रेफर कर दिया। बीएचयू ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। जिसके बाद 108 एंबुलेंस चालक ने सीएचसी पर एंबुलेंस रोक दिया। वहां चिकित्सकों ने चेक किया तो उसकी मौत हो चुकी थी। ये जानकर एंबुलेंस चालक ने उसे वापस ले जाने से इंकार कर दिया। ये सुनकर बेटे की मौत से आहत पिता बिलखने लगा। इस बात का पता मेडिकल स्टोर संचालकों को लगा तो उन्होंने ‘इंसान ही इंसान के काम आता है’ का उदाहरण देते हुए आपस में चंदा जुटाया और निजी एंबुलेंस से शव को भेजा और शव के दाह संस्कार के भी खर्च का इंतजाम किया।



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