नवजात शिशुओं में अगर दिखे ये 4 लक्षण तो निमोनिया से हो जाएं सावधान, घरेलू उपचार में बिना समय गंवाए आएं अस्पताल





गोरखपुर। बच्चे के जन्म से लेकर 28 दिन तक की अवस्था उसके सेहत के दृष्टि से अति संवेदनशील होती है। इस अवधि में बच्चे को नवजात शिशु कहते हैं। इस अवस्था में चार लक्षणों के प्रति अपेक्षाकृत अधिक सतर्क रहना है। अगर यह लक्षण दिखें तो घरेलू उपचार में समय बर्बाद मत करें। तत्काल स्थानीय आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क करना है और बिना समय गवाएं नवजात शिशु को नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाना है। यह संदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा जन-जन को निमोनिया नियंत्रण अभियान के तहत दिया जा रहा है। जनजागरूकता संबंधी यह विशेष अभियान 12 नवम्बर से शुरू हुआ है और 28 फरवरी तक चलेगा। लोगों को बताया जा रहा है कि निमोनिया का यह खतरा नवजात शिशुओं के साथ साथ बच्चों पर भी होता है। उनकी सेहत के प्रति खासा सतर्कता बरतनी होगी, अन्यथा जटिलताएं बढ़ सकती हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष दूबे ने बताया कि अगर किसी नवजात शिशु या बच्चे को तेज बुखार आ रहा हो, पसली चल रही हो या छाती नीचे धंस रही हो, तेजी से सांस चल रही हो और खांसी जुकाम बढ़ रहा हो तो सतर्क हो जाएं। यह संभावित निमोनिया का लक्षण हो सकता है। इन लक्षणों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार प्रसार हो रहा है। समुदाय को बताया जा रहा है कि पांच साल तक के बच्चों के मृत्यु की सबसे बड़े कारणों में से एक निमोनिया है। ’निमोनिया नहीं, तो बचपन सही’ और ‘चैन की सांस लेगा बचपन जब आप तुरंत पहचानेंगे निमोनिया के लक्षण’ जैसे नारों की मदद से लोगों को स्वस्थ व सुरक्षित बचपन की राह दिखाई जा रही है। डॉ दूबे ने बताया कि जन्म के समय बच्चे का वजन कम होने पर और समय से पहले बच्चे का जन्म होने पर उसे निमोनिया होने की आशंका अधिक है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती है और उनकी श्वसन नली भी छोटी होती है, इसलिए बच्चों के निमोनिया के प्रति अपेक्षाकृत ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। विश्व में हर 43 सैकेंड में निमोनिया के कारण एक बच्चे की मौत हो जाती है। यूनिसेफ संस्था द्वारा नवम्बर 2023 में सार्वजनिक की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के प्रति एक लाख बच्चों पर निमोनिया के 1400 मामले देखे गये हैं। सीएमओ ने बताया कि नियमित टीकाकरण के जरिये बच्चों में निमोनिया के मामले नियंत्रित किये जा रहे हैं। बच्चे के जन्म के 6 हफ्ते और 14 हफ्ते पर एवं इसके बाद 9 माह पर निमोनिया से बचाव के लिए उन्हें निमोकॉकल वैक्सीन (पीसीवी) लगाई जाती है। हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी निमोनिया से बचाव में पेंटावेलेंट टीका भी मददगार है। यह टीका बच्चे के जन्म के 6, 10 और 14वें सप्ताह में सरकारी खर्चे पर लगाया जा रहा है। नवजात को शीघ्र स्तनपान, बच्चों को छह माह तक सिर्फ स्तनपान और छह माह बाद स्तनपान के साथ साथ दो वर्ष की उम्र तक पोषणयुक्त घरेलू पूरक आहार भी निमोनिया से बचाने में मददगार है। बच्चों में दस्त के कारण भी निमोनिया की आशंका अधिक होती है। दस्त से बचाव के लिए ओआरएस के पैकेट और जिंक की गोलियां स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाती हैं।



अन्य समाचार
फेसबुक पेज
<< जखनियां : दबंग का ऐसा बुलंद हौसला कि अधिकारियों को भी नहीं समझ रहा कुछ, नाली से अतिक्रमण हटवाकर जाते ही फिर से कर लिया अतिक्रमण
जखनियां : अनियंत्रित बाइक से पीछे गिरी महिला गंभीर रूप से घायल, ट्रॉमा सेंटर रेफर >>