सिधौना : गोमती किनारे पर्णकुटी में एक माह से चल रहे रामचरित मानस पाठ का हुआ समापन, दूर-दराज से जुटे साधु-सन्यासी





सिधौना। क्षेत्र के गौरी गांव स्थित गोमती किनारे मौजूद पर्णकुटी में एक माह तक चले रामचरित मानस पाठ की पूर्णाहुति की गई। कार्तिक शुक्लपक्ष पूर्णिमा को विभिन्न आश्रमों से आये साधु-संतों ने सनातन व राष्ट्र की मंगलकामना के साथ ही हवन पूजन आदि का कार्य किया। पर्णकुटी के महंत अरुणदास महाराज ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन में बहुत अधिक झंझावात आए, यहां तक कि वो पत्नी व भाई के साथ 14 साल के लिए वन को चले गए लेकिन कभी वो किसी समस्या से विचलित नही हुए और अपने कर्तव्य पथ से नहीं भटके। बल्कि अपनी समस्या को एक तपस्या बनाकर जीवन के कर्म और धर्म पथ पर चलते रहे। इस तपस्या ने अवध कुमार राम से उन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम बना दिया। कहा कि श्रीराम के जीवन में सभी कार्य अप्रत्याशित ही हुए हैं। यज्ञ कार्य की रक्षा करने गए तो तड़का का वध करना पड़ा। जनकपुर घूमने गए तो धनुष तोड़ना पड़ा। स्वयंवर में माता सीता ने वरण किया तो उसी तिथि पर श्रीराम को अपने तीनों भाइयों के साथ माता सीता की तीनों बहनों का भी विवाह कराना पड़ा। राजा बनने के समय वनवासी बनना पड़ा। मृग पकड़ने गए तो प्राणप्रिय सीता को खोना पड़ा। वन त्यागा तो गिरीवासियों से मित्रता करनी पड़ी। ऐसे तमाम संकटों को अपने धर्य और साहस के साथ प्रभु श्रीराम झेलते रहे पर सत्य और धर्म का दामन नही छोड़ा। इस दौरान समापन कार्यक्रम में सिद्ध आश्रमों, मठ, कुटी और देवालयों से आये साधु संतों को मनोज सिंह एवं अशोक सिंह ने अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। पूर्णाहुति के बाद औषधीय लकड़ियों से हवन किया गया। इसके बाद दूर-दराज से हजारों की संख्या में आये श्रद्धालुओं ने भंडारे में महाप्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर जयप्रकाश सिंह, भवानी शरण, धनेश सिंह, रामवृक्ष यादव, वेद त्रिपाठी आदि रहे।



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