टीबी मरीजों को अब 5 की जगह 2 किश्तों में मिलेगी धनराशि, डीबीटी योजना के बाबत दिया गया प्रशिक्षण
गाजीपुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत टीबी रोगियों के उपचार और उसके अंतर्गत प्रत्यक्ष लाभ अंतरणयोजना के सुदृढ़ीकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है। इसी क्रम में गुरूवार को सीएमओ कार्यालय के सभागार में एक दिवसीय डीबीटी एवं रिफ्रेशर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें डीबीटी की समस्त योजनाओं के क्रम में इन्फॉरमेंट इन्सेन्टिव स्कीम, ट्रीटमेंट सपोर्टर फॉर टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी), सैम्पल ट्रान्सपोर्टर और रिफ्रेशर प्रशिक्षण के अंतर्गत निक्षय पोषण योजना, ट्रीटमेंट सपोर्टर, प्राइवेट नोटीफिकेशन एवं आउटकम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इसके पश्चात जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ संजय कुमार के नेतृत्व में जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथिलेश कुमार और डब्ल्यूएचओ के डॉ वीजी विनोद द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। सीएमओ डॉ देशदीपक पाल ने कहा कि क्षय मुक्त भारत को लेकर देश के प्रधानमंत्री का विजन तभी पूरा हो सकता है, जब किसी भी टीबी रोगी का नोटिफिकेशन न छूटे और उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाली धनराशि समय से प्रदान की जाए। साथ ही क्षय रोगी नियमित दवा और प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार का सेवन करें। टीबी के सम्पूर्ण उपचार के लिए उसका कोर्स का पूरा होना बहुत जरूरी है। कई टीबी रोगी बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं या फिर बदल-बदल कर इलाज करते हैं, जिससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती है। कई बार तो बीमारी बहुत गंभीर स्थिति में पहुँच जाती है। कहा कि टीबी मरीजों की एचआईवी और डायबिटीज की भी नियमित जांच की जानी चाहिए। सीएमओ ने समस्त निजी चिकित्सकों से अपील किया कि क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने में अधिक से अधिक टीबी रोगियों को नोटिफ़ाई कर उनका तत्काल प्रभाव से उपचार पूरा करने में सहयोग करें। डॉ मिथिलेश ने बताया कि टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत पौष्टिक आहार के लिए उपचार के दौरान (छह माह) हर महीने मिलने वाली राशि अब पांच की जगह दो किश्तों में मिलेगी। टीबी से पीड़ित व्यक्ति को उपचार शुरू होने पर दी जाने वाली पहली लाभ राशि को 1500 रुपये करने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद दूसरा लाभ उपचार शुरू होने की तारीख से 84 दिन (उपचार के तीन महीने) पूरे होने पर 1500 रुपये के रूप में मिलेगा। यह व्यवस्था जनवरी 2024 से लागू कर दी गई है। बताया कि इस वित्तीय वर्ष में अब तक कुल 5572 टीबी मरीज चिह्नित हुए, जिसमें 4924 रोगियों का उपचार पूरा हो चुका है। वर्तमान में 2914 रोगियों का उपचार चल रहा है। साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत 6407 टीबी रोगियों का डीबीटी के जरिये भुगतान किया जा रहा है। कहा कि इनफारमेंट इन्सेन्टिव स्कीम के अंतर्गत किसी के द्वारा टीबी मरीज की सूचना दिये जाने पर उस व्यक्ति को 500 रुपये डीबीटी के माध्यम से सीधे बैंक खाते में भेजे जाते हैं। ट्रीटमेंट सपोर्टर के रूप में कार्य कर रहीं आशा कार्यकर्तों को डीएसटीबी के मरीज का उपचार पूरा कराने में 1000 रुपये और डीआरटीबी मरीज का उपचार पूरा कराने में 5000 रुपये डीबीटी के जरिये भेजे जाते हैं। इसके साथ सैंपल ट्रांसपोर्टर के रूप में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से टीबी सैंपल के अनुसार भुगतान डीबीटी के जरिये किया जाता है। इसके साथ ही निजी चिकित्सकों द्वारा एक टीबी मरीज के नोटिफिकेशन पर 500 रुपये और उसका उपचार पूरा कराने पर 500 रुपये डीबीटी के जरिये भेजे जाते हैं। इस मौके पर जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग पाण्डेय, एनटीईपी के लेखाकर, एसटीएस, एसटीएलएस आदि रहे।