भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में लाने को गाजीपुर में शुरू हुई दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी में कई देशों से जुटे लोग
गाजीपुर। उत्तर सत्ययुग में भोजपुरी व संस्कृति का पुनरावलोकन विषयक पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। जीवनोदय शिक्षा समिति, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रो. सदानंद शाही ने किया। कहा कि उत्तर सत्य का अर्थ होता है सत्य के बाद का समय। सत्य के बाद या तो झूठ होता है या अति सत्य। भोजपुरी इसी की शिकार है। उसके नाम पर तमाम तरह के झूठ फैलाए गए हैं। तमाम तरह के मनगढ़ंत आरोप मढ़े गए हैं। यह भोजपुरी का दुर्भाग्य ही है कि आज संसद में भोजपुरी के बड़े-बड़े कलाकार तो बैठे हैं लेकिन भोजपुरी आज तक 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पाई है। भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल होने से हिन्दी को कोई खतरा नहीं है। इसी क्रम में लीबिया से आए प्रोफेसर अनिल प्रसाद ने कहा कि भोजपुरी में लोक की आत्मा बसती है। भोजपुरी भाषा का क्षेत्र व्यापक है। इसने भारत के गांव देहातों से होते हुए विश्व के कई देशों में अपना विस्तार किया है। भोजपुरी संघर्ष की भाषा है और इसकी सुगंध श्रम के माध्यम से पूरी दुनिया में फैली हुई है। तुर्की से आईं एसटी जस्सल ने कहा कि भोजपुरी भाषा एवं साहित्य को संजोने का कार्य सदियों से स्त्रियों ने किया है। वही इसकी समृद्धि की आधार हैं। प्रो पृथ्वीराज ने कहा कि भोजपुरी की संस्कृति कृषि की संस्कृति है, जिसमें साझेपन को महत्व दिया गया है। अमेरिका से आए माइकल बोनेलॉक ने कहा कि भोजपुरी भाषा और साहित्य संगीतमय है। लय इस भाषा का प्राण है। अध्यक्षता करते हुए डा नीरजा माधव ने कहा कि भोजपुरी अपने उत्कृष्ट साहित्य के चलते सम्मान पाएगी न कि राजकीय संरक्षण से। आज भी हमारे यहां के मांगलिक कार्य इसी भाषा में रचित गीत के माध्यम से ही संपन्न होते हैं। कार्यक्रम के दौरान जीवनोदय शिक्षा समिति ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर योगदान देने और छात्र हित को सदैव प्राथमिकता में रखने वाले राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डॉ शिव कुमार व डॉ संतन कुमार राम को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया। इसके बाद पीजी कालेज के शिक्षक डॉ हरेंद्र सिंह एवं सूर्यप्रकाश पाण्डेय को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान पवन बाबू के संयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए। इस मौके पर गोपाल ठाकुर, डॉ सानंद सिंह, डॉ निरंजन कुमार यादव, जितेंद्र नाथ राय, शेर खान, डॉ राघवेंद्र पांडेय, दीपक, उदय प्रताप पाल, डॉ विश्वनाथ मिश्र, डॉ सर्वेश पांडेय, डॉ गजेंद्र पाण्डेय, फरीद आलम, डॉ अशोक सिंह, जयशंकर, अमरनाथ तिवारी, संजीव वरुण, उरूज फातिमा, छत्रशाल सिंह आदि रहे। संचालन जयनंदन व आभार डॉ रामनारायण तिवारी ने ज्ञापित किया।