प्रेस मान्यता समिति गठित न करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब
गाज़ीपुर। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने कड़ा रुख करते हुए प्रदेश सरकार से पूछा है कि अभी तक उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है कि नहीं। उक्त जानकारी वरिष्ठ पत्रकार डॉ एके राय ने ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष आचार्य श्रीकांत शास्त्री के हवाले से देते हुए बताया कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा 6 जून 2020 को प्रेस मान्यता समिति गठित करने के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया था। उसके संदर्भ में प्रदेश के पत्रकार संगठनों के साथ ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) द्वारा भी आवेदन किया गया था। उक्त समिति के गठन में हो रही देरी के सम्बन्ध में ऐप्रवा की ओर से मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के आला अधिकारियों को पत्र भेजा था। जिसमें उत्तर प्रदेश शासन ने ऐप्रवा को सम्मिलित करने के लिए एक पत्र निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को भेजा था। इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही न होने पर ऐप्रवा की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फरवरी 2022 में एक याचिका दाखिल की गई। जिसमें उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता समिति के गठन के लिए जवाब मांगा। जिसमें शासन की ओर से यह बताया गया था कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के कारण नई सरकार बनने के बाद ही प्रेस मान्यता समिति का गठन करने की कार्यवाही हो पाएगी। इस जानकारी के बाद न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका निस्तारित किया था कि यदि सरकार बनने के बाद मान्यता समिति गठित नहीं होती तो याची फिर याचिका दायर कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता व न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने दिया था। नई सरकार बनने पर ऐप्रवा के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी की ओर से अनुस्मारक स्मरण पत्र शासन को भेजा गया जिसके बावजूद भी अब तक मान्यता समिति का गठन नहीं हो पाया। तत्पश्चात कोर्ट के आदेश के क्रम में पुनः आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री की तरफ से दाखिल किया गया। जिसमें बीते 14 सितंबर को न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खण्डपीठ ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है और पूछा है कि अब तक यूपी प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है कि नहीं। न्यायालय ने इसके लिए अगली तिथि 30 सितम्बर नियत की है।