केरल का ये मस्जिद अपनी इस खूबी के लिए पूरी दुनिया में बना मिसाल





कोच्चि। केरल के कोच्चि फोर्ट में मौजूद एक छोटी सी मस्जिद चर्चा में हैं। खास बात ये है कि इस मस्जिद में सभी धर्मों को मानने वाले जा सकते हैं। वहीं, मस्जिद में मौजूद आर्ट गैलरी में सभी धर्मों के ग्रंथ रखे हुए हैं। अप्रैल 2018 में खुली इस गैलरी में कोच्चि फोर्ट के 5.5 वर्ग किमी इलाके में रहने वाली करीब 42 कम्युनिटीज की जिंदगी को दिखाने वाली फोटोज शोकेस की गई हैं। कोच्चि के एक बिजनसमैन के अशरफ मोहम्मद ने 4 साल पहले अपनी ही पूंजी से इस मस्जिद का निर्माण कराया था। वही मस्जिद समिति के चेयरमैन भी हैं। मस्जिद में वेलकम के लिए एक बोर्ड लगा है, जो सभी का स्वागत करता है, चाहे वो किसी भी आस्था को मानने वाले महिला-पुरुष हैं। यहां सभी धर्मों के पवित्र वाक्य लिखे हुए हैं। इस तरह यहां सभी धर्मों की विविधता का सम्मान होता है। अशरफ कहते हैं कि मस्जिद में लगी फोटोज के सामने सिर्फ जुमे को नमाज के वक्त सफेद पर्दे टांग दिए जाते हैं। इसके पीछे भी बस वजह इतनी है कि इनसे लोगों का ध्यान न भटके। वहीं अशरफ का कहना है कि हम सभी धर्मों को साथ लेकर चलने में भरोसा करते हैं। यहां पर कपड़ों से लेकर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है। यहां हर साल इंटरनेशनल आर्ट एग्जीबिशन भी लगती है, जिसे देखने के लिए विदेशी आते हैं। इसकी दूसरी मंजिल पर इस्लामिक हेरिटेड सेंटर आर्ट गैलरी है। यहां पहुंचते ही दाईं तरफ ऋगवेद का एक सूक्त और बाई ओर लिखी कुरान की आयत आने वालों का स्वागत करती है। इस आर्ट गैलरी में एक तरफ लकड़ी की अलमारियों में किताबें रखी हैं, जिनमें धार्मिक ग्रंथ, उपन्यास और कविता संग्रह भी रखे हैं। ये सब सामंजस्यपूर्ण परंपरा पर आधारित हैं। अशरफ कहते हैं कि ये तो बहुत कम है। हम कई और दुर्लभ किताबें भी यहां लाना चाहते हैं। इसे एक बड़ी संदर्भ लाइब्रेरी बनाने की प्लान कर रहे हैं। अशरफ एक चैरिटेबल ट्रस्ट भी चलाते हैं। अशरफ मस्जिदुल इस्लाम चैरिटेबल ट्रस्ट भी चलाते हैं। ये इस्लामिक हेरिटेज सेंटर और आर्ट गैलरी भी इसी ट्रस्ट और फोरम फॉर एंड फ्रेटरनिटी (एफ3) नाम की संस्था की मिली-जुली कोशिश है। एफ3 संस्था 8वीं सदी से 14वीं सदी के बीच इस्लामिक स्वर्णकाल से प्रभावित है। ये वो दौर था जब मस्जिदें ही शिक्षा का अहम केंद्र हुआ करती थीँ। वहीं, कला और विज्ञान का समान विकास होता था। अशरफ का कहना है कि हम चाहते हैं कि लोग बहुलवाद और सांस्कृतिक विविधता के सिद्धांतों को समझें। आज की दुनिया में भी इनकी अहमियत जानी जाए। उनका मानना है कि देश में ये इकलौती ऐसी मस्जिद होगी, जिसमें आर्ट गैलरी भी है।



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