विश्व योग दिवस पर विशेष : खुद के दर्द से उबरे तो समाज का दूर कर रहे दर्द, पांच सालों से योग का निःशुल्क ज्ञान बांट रहे कुणाल
गोरखपुर। महानगर से सटे पिपराईच जैसे छोटे कस्बे में पिछले पांच वर्षों से युवा योगगुरू कुणाल की मदद से योग का निःशुल्क ज्ञान बांटा जा रहा है। योग में पीएचडी कर रहे और पेशे से बेसिक शिक्षा परिषद गोरखपुर में प्रधानाध्यापक कुणाल कस्बे के सौ से अधिक लोगों को सुबह-सुबह कोआपरेटिव इंटर कॉलेज ग्राउंड पर एकत्र करते हैं और योग सिखाते हैं। यह शुरूआत उन्होंने तब करने की ठानी जब योग की मदद से उनके कमर का दर्द ठीक हुआ। इसके बाद वह खुद समाज का दर्द बांटने निकल पड़े। निःशुल्क योगाभ्यास कार्यक्रम गर्मियों में सुबह पांच बजे से साढ़े छह बजे तक, जबकि सर्दियों में सुबह छह बजे से साढ़े छह बजे तक संचालित होता है। कुणाल बताते हैं कि योगा की स्नातकोत्तर की पढ़ाई उन्होंने वर्ष 2005 में ही कर ली थी और कुछ समय तक अभ्यास में थे लेकिन स्कूल में नौकरी लगने के बाद भागदौड़ में योग का अभ्यास छूट गया। बाइक ज्यादा चलाने की वजह से वर्ष 2013 में कमर में दर्द हुआ। जब चिकित्सक को दिखाया तो एल-फोर व एल-फाइव हड्डी में समस्या बतायी और फिजियोथेरेपिस्ट को दिखाने का कहा। जब फिजियोथेरेपी कराया तो जो व्यायाम बताया गया, वह कांधारआसन था। वह बताते हैं कि उन्होंने यह आसन अपनाना शुरू किया और धीरे-धीरे दर्द समाप्त हो गया। यहीं कुणाल ने संकल्प लिया कि वह लोगों को भी निःशुल्क योग सिखाएंगे और लाभ देंगे। कुणाल का कहना है कि योग के साथ सादा व पौष्टिक भोजन का सेवन करते हुए उनसे जुड़े कई लोग शुगर, बीपी, कमर दर्द, घुटने के दर्द आदि से निजात पा चुके हैं। योग के साथ संतुलित व पौष्टिक आहार का विशेष महत्व है। वह बताते हैं कि लॉकडाउन में ग्राउंड पर योग करना संभव नहीं था तो व्हाट्सएप व फोन कॉल के जरिये सभी लोगों को योग के संदेश दिये जाते थे और उनसे योग जारी रखने को कहा जाता था। कुणाल विश्व योग दिवस पर ग्राउंड में हर साल वृहद शिविर भी लगाते हैं। वह कहते हैं कि योग के साथ अच्छे आहार से स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। कुणाल के कार्यक्रम के नियमित प्रतिभागी दिनेश सैनी का कहना है कि तीन महीने पहले उनका मधुमेह 400 से अधिक था। वह रोजाना योगाभ्यास से जुड़े। चीनी, मीठा व चाय छोड़ दिया। मैदा वाला खाना भी छोड़ दिया। इससे काफी लाभ मिला है और अब उनका मधुमेह नियंत्रित हो चुका है। मनोज कुमार गुप्ता भी योग कार्यक्रम से जुड़े हैं। वह कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों से योगाभ्यास कर रहे हैं जिससे वह बीमारियों से बचे हुए हैं। कोविड काल में भी घर से उन्होंने योगाभ्यास जारी रखा। कुणाल के इस मुहिम में उनके पिता, माता, भाई और पत्नी सभी लोग सहयोग करते हैं। करीब 38 वर्षीय कुणाल बाइक या फोर व्हीलर से नियमित तौर पर कैंपियरगंज ब्लॉक में पढ़ाने जाते हैं। इतनी लंबी दूरी के बाद भी अब उन्हें कमर दर्द की परेशानी नहीं होती और खुद स्वस्थ रह कर समाज को स्वस्थ बनाने की मुहिम में जुटे हुए हैं।