पबजी गेम के लिए मां की हत्या के बाद परिजनों में भय का माहौल, बच्चों में इस तरह खत्म करें इंटरनेट व मोबाइल की लत



बिंदेश्वरी सिंह की खास खबर



खानपुर। लखनऊ के पबजी गेम के चलते हुए हत्याकांड के बाद से महिलाओं में बच्चों के प्रति डर और सतर्कता का माहौल बन गया है। ये डर और किसी से नहीं बल्कि मोबाइल गेम में लिप्त अपने बच्चों से ही उन्हें होने लगा है। लखनऊ में बीते मंगलवार को बेटे ने रोक-टोक के चलते अपनी मां को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद महिलाओं सहित अभिभावकों ने अपने बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल पर सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। बच्चों के बिगड़ने या भटकने पर सबसे पहला शिकार उनके माता पिता या स्वजन ही होते है। इस बाबत राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका कमला देवी ने कहा कि बच्चों का मन मस्तिष्क जानकारियों के आसमान में बहुत ऊंची उड़ान भरने के चक्कर में सही गलत का मार्ग नहीं समझ पाता है। ऐसे में गलत, भ्रामक, हिंसक और असभ्यता का मार्ग उन्हें ज्यादा आकर्षित करने लगता है। जहां पहुंचने के बाद बच्चे सही मार्ग से भटक जाते है। बच्चों को स्कूल, घर, समाज में अनुशासन के साथ नैतिक शिक्षा का ज्ञान भी बराबर देते रहना चाहिए। कहा कि कोविड काल में पढ़ाई के लिए बच्चों के हाथ में आया इंटरनेट मोबाइल उन्हें सीखने और रीझने के बराबर मौके दे रहा है। सभी माता-पिता और बड़े भाई बहनों को लगातार बच्चों के मोबाइल इंटरनेट लैपटॉप टैबलेट आदि की जांच पड़ताल करने के साथ ही मैत्रीभाव से उनके स्वभाव में परिवर्तन देखने पर बातचीत करते रहना चाहिए। खानपुर के डॉ केपी सिंह कहते है कि मोबाइल और टीवी ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों में चिड़चिड़ापन एवं हिसंक प्रवृत्ति पनप रही है।



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