‘डीएम साहब! मैं जिंदा हूं, मुझे कागजों में भी जिंदा कर दीजिए’, ब्लॉक कर्मियों का कारनामा, खुन्नस में बनवा दिया मृतक





जखनियां। क्षेत्र के पड़री गांव से निजी रंजिश के चलते जीवित को मृत घोषित करा देने का मामला सामने आया है। जिसके बाद पीड़ित दर-दर की ठोकरें खाकर खुद को जिंदा बताकर अपनी कर रहा है। गांव निवासी पतंजलि चौबे का आरोप है कि शासन द्वारा मिलने वाली किसान निधि की राशि उन्हें न मिल सके, ऐसे में उनके विरोधियों ने ब्लॉक के कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी अभिलेखों में उन्हें मृतक दर्शा दिया है और किसान निधि के लाभ से उन्हें वंचित करा दिया है। इस बाबत पीड़ित ने सम्पूर्ण समाधान दिवस से लेकर ब्लॉक मुख्यालय व कृषि विभाग के उपनिदेशक तक के यहां गुहाई लगाई, अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र, ग्राम प्रधान आदि से दस्तावेज लेकर कई सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाया और गुहार लगा रहे हैं कि ‘साहब मैं जिंदा हूं’, लेकिन उन्हें सुनने वाला कोई नहीं है। सरकारी अमले का आलम ये है कि एक जीवित को फर्जी ढंग से मृतक घोषित करने में उन्हें मिनटों नहीं लगे लेकिन अब जिंदा व्यक्ति अपना प्रमाणपत्र लेकर भटक रहा है और कोई सुनने वाला नहीं है। पीड़ित किसान ने अधिकारियों व कर्मचारियों को कोसते हुए कहा कि सरकार द्वारा सभी विभागों को निजीकरण करने का निर्णय बेहद सही है। ये अधिकारी व कर्मचारी बैठकर सिर्फ कुर्सी तोड़ते हैं और हम जैसे मजबूरों की हालत का लाभ उठाकर अवैध कमाई करते हैं। कहा कि शिकायत के बाद तहसील व ब्लॉक के अधिकारी जांच कराने का हवाला देकर चुप्पी साधे हैं। पीड़ित ने बताया कि किसान निधि की 5 किश्त का भुगतान मुझे मिला, लेकिन सरकारी अभिलेखों मे 9 माह से मुझे मृतक घोषित कर दिए जाने से अब मैं लाभ से वंचित हो गया हूं। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग किया है कि मृतक करार देने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। बता दें कि ऐसी ही एक घटना को लेकर उत्तर प्रदेश के विधानसभा में ऐतिहासिक प्रदर्शन एक पीड़ित द्वारा काफी पहले किया गया था। पूरे देश की ऐसी पहली घटना के बाद इस पर एक सिनेमा ‘कागज’ भी बनी है। अधिकारियों की ऐसी ही लापरवाही के चलते प्रदेश के बहुत से लोग कागजों में मृत घोषित कर दिए जाते हैं।



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