जनता के बीच जाकर परिवहन आयुक्त ने जांची सरकारी योजनाओं की पूर्ति, आवास की घटिया गुणवत्ता पर कार्रवाई के निर्देश





सैदपुर। केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाएं आम जनता तक शत प्रतिशत पहुंच रही हैं या नहीं, योजनाओं में कोई बिचौलिया तो नहीं शामिल है इन सब बातों के लिए सरकार पूरी तरह से हाई अलर्ट पर है। जनता को मिल रही सरकारी योजनाओं की योग्यता के बारे में जानने के लिए सरकार के दूत के रूप में गाजीपुर के प्रभारी व प्रदेश के परिवहन आयुक्त पी. गुरू प्रसाद रविवार को क्षेत्र के मलिकपुर गांव में चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं जानने के साथ ही गांव समेत सीएचसी व ब्लाक में ताबड़तोड़ दौरे किए। इस दौरान गांव के स्थलीय निरीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री आवास व शौचालय निर्माण में लापरवाही पाए जाने पर उन्होंने सचिव के खिलाफ कार्यवाही की बात कही। मलिकपुर गांव में पहुंचने पर आयुक्त सबसे पहले गांव के अंदर पहुंचे और पैदल ही घूमने लगे। इस दौरान गांव में दिए गए प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों के यहां आवास की गुणवत्ता जांचने पहुंचे। वहां आयुक्त की जांच में आवास की गुणवत्ता घटिया व शौचालय अधूरे मिले। कुछ आवासों पर प्लास्टर नहीं मिले थे तो एक आवास में ही गड्ढा खोदकर अंदर ही शौचालय बनवा लिया गया था। जिस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए सचिव महातिम के खिलाफ कार्रवाई की बात कही। कहा कि आवास की गुणवत्ता कमजोर पाई गई वहीं शौचालयों का निर्माण अधूरा था। गांव में विद्युत पोल भी पूरे नहीं लगे हैं। वहां सचिव को शीघ्र काम पूरा कराने का निर्देश देकर वो प्राथमिक विद्यालय पर चौपाल में आ गए। यहां पर एक एक कर ग्रामीणों ने उनकी समस्याएं पूछीं। महिलाओं ने बताया कि उन्हें पेंशन नहीं मिलता। कारण पूछने पर पता चला कि सभी पात्रों ने फार्म तो भर दिए हैं लेकिन आयु प्रमाणपत्र नहीं होने से वो अधूरे रह गए। इस पर जिलाधिकारी के. बालाजी ने कहा कि आगामी बुधवार को गांव में शिविर लगाकर सभी के पेंशन के काम पूरे किए जाएंगे। इसके पश्चात गांव में बिजली की समस्या पूछी तो ग्रामीणों ने संतुष्टि जताते हुए कहा कि 18 से 20 घंटों तक बिजली मिलती है। हालांकि मलिकपुर समेत सिंहपुर व अहिरौली के कई हिस्सों में अभी तक विद्युत पोल नहीं लगे थे। कहीं पोल लगे थे तो तार नहीं थे। इस पर एक्सईएन आशीष चौहान ने बताया कि दोनों गांवों में कुल 10 ट्रांसफार्मर हैं। जल्द ही बचे हुए 80 पोल लगा लिए जाएंगे। इसके गांव में खराब हैंडपंप के बारे में पूछा तो एक महिला ने कहा कि उसके घर के बाहर हैंडपंप 2 वर्ष से खराब है। इस पर अधिकारी ने बताया कि वहां बनाने गए थे तो दो पक्षों ने आपस में मारपीट करते हुए हमें नहीं बनाने दिया। इस पर आयुक्त ने क्षेत्राधिकारी को न बनाने देने वाले ग्रामीण भूषण सिंह का नाम नोट करने का निर्देश दिया। पेयजल आपूर्ति के बारे में पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि वहां पानी गंदा आता है। इस पर आयुक्त ने विभाग को गांव में आकर पानी की शुद्धता मापने का निर्देश दिया। रमरेपुर में मलिकपुर गांव के नाम से बने पानी टंकी की बोरिंग फेल होने के बारे में पूछा तो पता चला कि इस्टीमेट गया है। जल्द ही बन जाएगा। इसके बाद स्कूल के बच्चों को बुलवाकर उनसे बात की। एमडीएम के मेनू, विद्यालय द्वारा स्वेटर वितरण, ड्रेस, बैग, जूता, किताब आदि के बारे में पूछा कि मिला है कि नहीं। इसके बाद बच्चों से पहाड़े भी पूछे। सब कुछ ओके मिलने पर पूछा कि कितनों के बच्चे आंगनबाड़ी में जाते हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्री कंचन को बुलाया और ग्रामीणों से कहा कि इन्हें पहचानते हैं कि नहीं। इसके बाद कार्यकत्री से संख्या पूछी। बताया कि यहां 3 से 6 वर्ष तक के 22 बच्चियां व 26 बच्चे हैं। जिसमें 7 ऐसे हैं जो पीले रंग की श्रेणी में आते हैं। इसके बाद कोटेदार के बारे में पूछा। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें राशन मिलता है। कुछ ऐसे ग्रामीण आए जिन्होंने अन्त्योदय कार्ड पर राशन का रेट 85 तो किसी ने 90 बताया। इस पर आयुक्त ने पूछा कि उन्हें कौन सिखा कर भेजा है। क्योंकि सरकार का रेट ही है 90 रूपए। ऐसे में कोई अपना नुकसान सहकर कैसे राशन देगा। इसके बावजूद ग्रामीण अपनी बात पर अड़े रहे। कई ग्रामीणों ने बताया कि राशन कार्ड नहीं बना है। इस पर उन्होंने ऐसे लोगों को तुरंत आधार कार्ड लेकर वहीं बुलवाया। पानी की समस्या व चकरोड न बनने की बात को लेकर जल्द ही काम कराने का भरोसा दिया। अंत में वहां आई एक मंदबुद्धि बच्ची से बात करते हुए विभाग से कहा कि यहां शिविर लगता है तो ऐसे बच्चों की भी जांच की जाए। इसके बाद वो सैदपुर के लिए रवाना हो गए। सैदपुर में सबसे पहले वो सीएचसी में पहुंचे। वहां सबसे पहले रजिस्टर जांचा। इसके बाद आपरेशन कक्ष व आंख के आपरेशन के कक्ष में पहुंचे। वहां सब कुछ ओके मिलने पर वो इमरजेंसी में पहुंचे। वहां बच्ची को भर्ती देख उसका हाल जाना और आने वाले मरीजों की संख्या के बारे में पूछा। बच्चों का बुखार दिमाग में चढ़ जाने की शिकायत को लेकर ऐसे बच्चों को ढूंढकर चिह्नित करने का निर्देश अधीक्षक डा. मनोज चौरसिया को दिया। वहां से वो पूरे अस्पताल परिसर का निरीक्षण करते हुए ओपीडी में पहुंचे। दवा वितरण कक्ष में जाकर दवाओं की बारीकी से जांच की। अधीक्षक से आयुष्यमान योजना के संचालन के बारे में पूछा। तो डा. चौरसिया ने बताया कि योजना यहां शुरू हो चुकी है लेकिन कुछ मामले में संशय के चलते इसे यहां अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। कहा कि यहां कम्प्यूटर से रजिस्ट्रेशन आदि किया जा रहा है। लेकिन इसमें इलाज की रकम किसके खाते में आएगी ये स्पष्ट नहीं है। इस पर उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से पूछा तो वो भी कुछ बताने में अक्षम दिखे। इसके बाद उन्होंने बाहर मौजूद बंद पड़ी जन औषधी केंद्र के बारे में पूछा तो बताया कि ये रविवार को बंद रहता है। इसके बाद वो ईसीजी कक्ष, लेबर रूम में पहुंचकर उपकरण आदि देखा। बाहर निकलने आरटीओ के खिलाफ स्टाफ समेत एक अन्य व्यक्ति ने शिकायत पत्र दिया। वहां से आयुक्त सीधे ब्लाक परिसर में पहुंचे। ब्लाक में उपस्थिति पंजिका देखने के बाद पूछा कि कर्मचारियों के अनुपस्थित होने की स्थिति में पिछले एक वर्ष के दौरान कितनों का वेतन रोका गया है। इस पर कर्मचारी चुप हो गए। हालांकि बीडीओ पवन सिंह ने ने कहा कि वेतन रोका गया है लेकिन जिम्मेदारी कर्मचारी मौजूद नहीं है। इसके पश्चात ऐसे ग्राम पंचायतों का ब्योरा मांगा जहां काम नहीं हो रहा है। साथ ही सभी खर्च का ब्योरा मांगा। इस बीच एक व्यक्ति द्वारा नगर में इंपोरियम आदि के लिए बने एक भवन के ही गुम होने की बात उठाई तो आयुक्त ने जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि वो इसकी जांच कराएंगे। वहां से वो परिसर का निरीक्षण करते हुए परिसर के पीछे पहुंचे जहां दिव्यांगों के लिए आए व्हील चेयर को बंदरों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। बीडीओ ने कहा कि वो इसकी मरम्मत कराकर इसे वितरित करा देंगे। वहां से वो परिसर में बने पशु चिकित्सालय में पहुंचे। पता चला कि भवन को सरकारी स्तर पर कंडम घोषित कर दिया गया है। इसके बावजूद भवन के अभाव के चलते जान हथेली पर लेकर कर्मचारी उसमें काम कर रहे थे। पहले तो उन्होंने मरम्मत का निर्देश दिया लेकिन कंडम घोषित होने की जानकारी मिलते ही वो भी आगे रवाना हो गए। इस मौके पर जिलाधिकारी के. बालाजी, जिला विकास अधिकारी, उपजिलाधिकारी शिशिर कुमार, क्षेत्राधिकारी, समाज कल्याण अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, कोतवाल शरदचंद्र त्रिपाठी आदि मौजूद थे।



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