महामारी में बढ़ी गिलोय की पूछ, लोगों में निःशुल्क गिलोय बांट रहे सिधौना के नंदलाल





खानपुर। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए व्यक्ति के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का ज्यादा होना जरूरी है। ऐसे में कोरोना की इस महामारी के दौर में सिधौना स्थित गिलोय का काफी पुरानी बेल अचानक से सुर्खियों में आ गई है। गांव निवासी नंदलाल मिश्रा के घर के सामने नीम के पेड़ पर चढ़े गिलोय की बेल को लेने के लिए रोजाना दर्जनों लोग आते हैं जिनमें श्री मिश्र खुशी से गिलोय बांटते हैं। बताया कि प्रकृति के इस अनमोल उपहार की रखवाली करने के साथ ही मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गिलोय के तने को मुफ़्त में सबको उपलब्ध कराया जा रहा है। गिलोय एक पर्णपाती बेल है और आयुर्वेदिक व पारंपरिक औषधि प्रणाली में अनेक उपचारों एवं स्वास्थ्यवर्द्धक लाभों के लिए इस जड़ी बूटी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। नीम के पेड़ पर चढ़े गिलोय को सर्वोत्तम माना जाता है। आयुर्वेद में इसे रसायन के तौर पर जाना जाता है क्योंकि इसमें शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार लाने की क्षमता होती है। गिलोय से बने काढ़े को डेंगू, मलेरिया, तीव्र ज्वर आदि की सर्वोत्तम औषधि माना गया है। गिलोय के अधिकतर औषधीय गुण इसके तने में मौजूद होते है लेकिन इसकी पत्तियों, फल और जड़ का भी औषधीय उपयोग किया जाता है। आम भाषा में इसे गुड़ुच या गुरूच भी कहा जाता है।



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