सभ्य समाज पर अभिशाप है बालश्रम, हमारी ओछी और स्वार्थी सोच के चलते होता है बालश्रम
खानपुर। बालश्रम निषेध दिवस के मौके पर बुधवार को क्षेत्र के सिधौना स्थित विवेकानंद पार्क में प्रबुद्धजनों की बैठक हुई। जिसमें वक्ताओं ने बालश्रम को सभ्य समाज का एक अभिशाप बताया। अधिवक्ता जयप्रकाश मिश्रा ने कहा कि इस सभ्य समाज में इस दिवस की सार्थकता तभी पूर्ण होगी जब कारखानों, दुकानों, ईंटों के भट्टों पर तथा घरेलू नौकर के रूप में बंधुआ मजदूर बने बच्चों को वहां से निकालकर हम या सरकार उन्हें एक सहज व स्वस्थ बचपन लौटा सकें। कहा कि अगर हमारे बीच का कोई व्यक्ति इन मासूमों का बचपन कुचलकर अपना थोड़ा सा भी लाभ कर रहा है तो उसे या हमारे समाज को किसी भी कीमत पर सभ्य नहीं कहा जाएगा। कहा कि सरकार भी इसे रोकने के लिए नए-नए कदम उठा रही है इसके बावजूद हमारी ओछी और स्वार्थी सोच के चलते देश में बाल मजदूरों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। अब भी बहुत से लोग उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर जबरन किसी कार्य में लगा देते हैं। कहा कि आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक बाल श्रमिक भारत में ही हैं। संभवतः देश में कोई भी ऐसा व्यवसाय नहीं है जिसमें बाल श्रमिकों को न लगाया जाता हो। परिणामस्वरूप बच्चे अपनी स्वतंत्रता एव अपने मौलिक अधिकारों से भी वंचित रह जाते हैं। कहा कि कई बच्चे ऐसे भी होते हैं जो या तो अपने माता पिता के साथ बाल मजदूरी करते हैं या कई बार उनके परिजन ही उन्हें काम में लगा देते हैं। ऐसे में अब समाज को आगे आकर ऐसे बच्चे की हिमायत करने की जरूरत है। इस मौके पर रामजी सिंह बागी, कृष्णानंद सिंह, शिवाजी मिश्रा, रामकृत सिंह, वीरेंद्र बहादुर, शिवशंकर सिंह, संजय भारती, बृजमोहन सिंह आदि मौजूद थे।