जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने एमडीए अभियान का किया रियलिटी चेक, रिकॉर्ड की जांच के साथ क्षेत्र में जाकर भी किया निरीक्षण





गोरखपुर। दो वर्ष से अधिक आयु के किसी लाभार्थी को बुखार है तब भी उसे फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जा सकती है। इससे उसके स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है। यह दवा सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बिस्तर पकड़ चुके लोगों को नहीं खिलाई जानी है। यह बातें जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने पिपरौली ब्लॉक के वसुधा गांव में सर्वजन दवा सेवन अभियान (एमडीए) में लगी स्वास्थ्य विभाग की टीम को समझाईं। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ राजेश कुमार और जिला मलेरिया अधिकारी ने ब्लॉक क्षेत्र में अभियान का जायजा लिया। उन्होंने अभियान से जुड़े रिकॉर्ड की जांच की और क्षेत्र में जाकर विभागीय टीम के काम को भी देखा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के निर्देश पर दोनों अधिकारी सबसे पहले पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। वहां अभियान से जुड़े रिकॉर्ड को देखा और कहा कि प्रतिदिन अभियान से जुड़ी सांध्यकालीन बैठक हो और उसमें पर्यवेक्षकों की शत फीसदी उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। पर्यवेक्षक प्रतिदिन जितनी टीम का काम देखते हैं उसी के अनुसार उन्हें भुगतान दिया जाएगा। पर्यवेक्षक यह सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य विभाग की टीम अपने सामने ही लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराए। किसी भी हाल में दवा का वितरण नहीं होना चाहिए। अगर कोई लाभार्थी घर पर मौजूद नहीं है तो उसके यहां पुनः भ्रमण कर या मॉप अप राउंड के दौरान दवा खिलाई जाए लेकिन दवा किसी को देनी नहीं है। दवा खिलाने से पहले सुनिश्चित किया जाए लाभार्थी ने कुछ खा लिया हो और वह खाली पेट न हो। जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि दो सितम्बर तक अभियान चलना है और अभी तक जिले में पचास फीसदी से अधिक लोग दवा का सेवन कर चुके हैं। कुछ लोगों के मन में भ्रम होता है कि वह बुखार, टीबी, मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि की दवा खा रहे हैं तो यह दवा नहीं खा सकते हैं। सच्चाई यह है कि यह दवा सिर्फ ह््रदय, कैंसर आदि के अंति गंभीर ऐसे रोगी जो बिस्तर पकड़ चुके हैं उन्हें नहीं खानी है। बाकी लोगों को लिए दवा सुरक्षित है। एक से दो वर्ष तक के बच्चों को सिर्फ पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाई जानी है, जबकि दो वर्ष से अधिक उम्र के लोग निर्धारित आयु वर्ग के अनुसार दो प्रकार की दवाएं एक साथ खाएंगे। पेट से कीड़े निकालने की दवा अल्बेंडाजॉल चबा-चबाकर खाना है और इसे फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के बाद खाना है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जिन लाभार्थियों के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद होते हैं, दवा खाने के बाद उन पर मामूली प्रभाव नजर आता है। मसलन कुछ लोगों को हल्की मितली, सिरदर्द और उल्टी आना जैसे लक्षण दिखते हैं जो स्वतः ठीक हो जाते हैं। ज्यादा दिक्कत होने पर आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क कर स्वास्थ्य केंद्र में दिखा सकते हैं। ऐसे लक्षण आना एक सुखद संकेत है और इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं और दवा खाने के बाद माइक्रोफाइलेरिया नष्ट हो रहे हैं। अधिकारियों ने पिपरौली सीएचसी की मिनी पीकू का भी मुआयना किया और संबंधित स्टॉफ को निर्देश दिया कि बुखार के रोगियों को भर्ती कर प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज करें। आवश्यकता पड़ने पर ही मरीजों को उच्च चिकित्सा केंद्र के लिए रेफर करें।



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