22 माह पूर्व शरीफपुर में स्कूल का गेट गिरने से बालिका की मौत की जांच करने पहुंची टीम, एडीएम, एसपी सिटी, बीएसए आदि ने लिया बयान
सैदपुर। 22 माह पूर्व 5 फरवरी 2022 को शरीफपुर प्राथमिक विद्यालय का गेट गिरने से बालिका की मौत के मामले में गठित की गई जांच कमेटी एडीएम के नेतृत्व में घटनास्थल पर पहुंची और प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान सहित ग्रामीणों के कलमबद्ध बयान दर्ज किए। 22 महीना पूर्व सरस्वती पूजा के दिन शरीफपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की चहारदीवारी व गेट गिरने से उसके नीचे दबकर गोपालपुर निवासिनी 8 साल की बच्ची रिद्धि यादव की मौत हो गयी थी। वो अपनी मां के साथ चंद्रकला के साथ शरीफपुर स्थित ननिहाल में आई थी। इस बीच वो गांव के बच्चों के साथ बन्द पड़े स्कूल के घटिया निर्माण वाले गेट को पकड़कर झूल रही थी कि वो गिर गया। जिसमें दबकर उसकी दर्दनाक मौत हो गयी थी। घटिया निर्माण के कारण इस मामले में शिक्षा विभाग ने कार्यदायी संस्था ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईडी) के अधिशासी अभियंता दिलीप शुक्ला के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बावजूद कोई कार्रवाई न होने पर इसका संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व बाल संरक्षण आयोग ने ले लिया था। कोई कार्रवाई न होने पर इसमें जिलाधिकारी से आयोग द्वारा प्रगति रिपोर्ट मांगी गयी। इसमें 4 सदस्यीय टीम गठित की गई। जिसमें एडीएम वित्त व राजस्व अरुण कुमार सहित पुलिस अधीक्षक शहरी ज्ञानेंद्र कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमन्त राव व लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड के अधिशासी अभियंता शामिल हैं। उनकी टीम आज सुबह में स्कूल पर पहुंची और प्रधानाध्यापक अमरनाथ बारी सहित ग्राम प्रधान व अन्य ग्रामीणों के कलमबद्ध बयान दर्ज किए। सभी ने एक सुर में इस घटना को स्कूल की चहारदीवारी बनाने व गेट लगाने वाली कार्यदायी संस्था की गलती बताई। कहा कि चहारदीवारी को मानक के अनुरूप न बनाकर भ्रष्टाचार किया गया। कहा कि इतने भारी गेट का वजन सम्भालने के लिए भी वहां बिना सरिया के दीवार बनाई गई थी। जिसके कारण वो गिरा था। बयान लेने के बाद अधिकारियों की टीम रवाना हो गयी। बता दें कि घटना के वक्त ये दीवार उससे महज 2 साल पूर्व ही ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा बनवाई गई थी। लेकिन भ्रष्टाचार का आलम ये था कि उन्होंने ऐसी गुणवत्ता रखी कि दो साल में ही दीवार गिर गई। इतनी सी दीवार की लागत भी 5 लाख 26 हजार 337 रूपए दिखाई गई थी। भ्रष्टाचार का आलम ये रहा कि बनाए गए दीवार के पिलर में सरिए भी नहीं डाले गए थे। ऐसे में वो दीवार आखिर कैसे टिकती। स्कूल के गेट का एक पल्ला पहले ही गिर चुका था, इसके बावजूद विभाग नहीं चेता था।