विश्व हिंदी दिवस विशेष : ‘‘पूरी दुनिया मानती है हिंदी का लोहा और कुछ भारतीयों को हिंदी बोलने पर आती है शर्म‘‘





खानपुर। विश्व हिंदी दिवस के मौके पर क्षेत्र के सिधौना बाजार में साहित्यकारों की बैठक हुई। इस दौरान उन्होंने हिंदी के प्रचार प्रसार का संकल्प लिया। साहित्य अकादमी की तरफ से मॉरीशस में हिंदी पर व्याख्यान दे चुके सिधौना निवासी साहित्यकार डॉ. रामजी सिंह बागी ने कहा कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए और इसे अंतराष्ट्रीय भाषा के तौर पर पेश करने के लिए ही इस दिन को काफी विशेष तरीके से मनाया जाता है और हिंदी को प्रचारित प्रसारित किया जाता है। कहा कि अन्य देशों के भारतीय दूतावासों में कई कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। लोगों से हिंदी बोलने में न झिझकने की अपील करते हुए कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसे बोलने में गर्व महसूस होना चाहिए, शर्म नहीं। कहा कि भारत के सरकारी कार्यालयों में हिंदी पखवारा अथवा हिंदी दिवस पर कार्यक्रम तो घोषित किए जाते हैं लेकिन दिन बीतने के बाद उसे अमल में नहीं लाया जाता। बैठक के दौरान ही सार्वजनिक पुस्तकालय की मांग करते हुए एनआरआई दुर्गा प्रसाद मिश्र ने कहा कि पूरे विश्व मे हिंदी की प्रशंसा और प्रतिष्ठा है लेकिन अपने ही देश के लोग उसे वरीयता नहीं देते। इस मौके पर गीतकार विजय यादव, डॉ जय यादव, अनिल पांडेय, प्रो. वीरेंद्र बहादुर सिंह, शेषनाथ सिंह, कमलेश यादव, कन्हैया त्यागी आदि मौजूद थे।



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