टीबी को फैलने से रोकना है तो समय से कराएं जांच व बरतें एहतियात, एक मरीज दे सकता है 15 को बीमारी - सीएमओ
गोरखपुर। क्षय रोग (टीबी) के शुरुआती लक्षण को नजरंदाज कर अगर समय से जांच न हो और सावधानी न रखी जाए तो एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि लक्षण दिखते ही टीबी मरीज की जांच हो और दवा शुरू हो जाए। दवा बीच में बंद नहीं होनी चाहिए अन्यथा टीबी की जटिलताएं बढ़ सकती हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने प्रेरणा श्री सभागार में यह बातें पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहीं। वह आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत मनाए जा रहे आईकानिक वीक ऑफ हेल्थ की कड़ी में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। सीएमओ ने कहा कि टीबी की दवा बीच में छोड़ने वाले लोगों में जब ड्रग रेसिस्टेंट पैदा हो जाता है तो इलाज काफी लंबा और महंगा हो जाता है। सभी सरकारी अस्पतालों में हर प्रकार के टीबी का इलाज और दवा निःशुल्क उपलब्ध है। ऐसे में सभी लोगों को लक्षण दिखने पर समय से जांच करवा लेना चाहिए। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी के तहत जिन घरों में टीबी के मरीज हैं, उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य को तीन महीने तक निःशुल्क दवा खिलाई जाएगी। इस कार्य में लोगों को आशा कार्यकर्ता के प्रति सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए। इससे पूर्व जिन घरों में टीबी के मरीज निकलते थे उन घरों में पांच साल से छोटे उम्र के बच्चों को ही यह दवा खिलाई जाती थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मेडिकल कंसल्टेंट डॉ. सौरभ श्रीवास्तव ने पीपीटी के जरिये क्षय उन्मूलन में सरकार के लक्ष्य और सामुदायिक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, जिला पीपीएम अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग, पाथ संस्था से सलाहकार डॉ. नीरज पांडेय, इंद्रनील और गोविंद कुमार प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।