विधायक व एकेडमी अध्यक्ष ने किया पूर्व प्राचार्य के किताब का विमोचन, प्रशस्ति पत्र देकर किया सम्मानित
गाजीपुर/प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ के लालगंज अझारा स्थित हेमवतीनंदन बहुगुणा पीजी कालेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. दुर्गा प्रसाद ओझा के नव प्रकाशित ग्रंथ ‘हिंदी कविता के प्रतिनिधि स्वर’ का विमोचन हुआ। विमोचन के पश्चात कृतिकार डॉ. दुर्गा प्रसाद ओझा को विधायक उमेश द्विवेदी तथा हिंदुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। अध्ययन और लेखन एक साधना नामक पुस्तक एक दीर्घकालीन साधना का सुफल है। यह भी एक सुखद संयोग ही है कि डॉ. उदयप्रताप सिंह के कर कमलों से पुस्तक लोकार्पित हुई है, वो भी सरस्वती के वरद पुत्र हैं और संत साहित्य पर लेखन के साथ विविध आयोजनों के माध्यम से हिंदी का डंका देशभर में बजा रहे हैं। पुस्तक विमोचन के बाद मुख्य अतिथि ने कहा कि हमारी संस्कृति लोक में बिखरी हुई है। जबसे हमने एकेडमी के अध्यक्ष का दायित्व सम्भाला है, खोज-खोजकर प्रतिभावान लोक रचनाकारों का प्रकाशन करता हूँ। कहा कि श्री ओझा बहुत अच्छे लेखक हैं। बीते 25 वर्षों में हमने उन्हें किसी की निंदा करते हुए नहीं सुना तथा पुरस्कार पाने की इच्छा से काम करते नहीं देखा। ये निरन्तर एक सर्जक के रूप में साधनारत रहे। एकेडमी ऐसे विद्वानों के पीछे पीछे चलती है। आज हमारे ऊपर चारों तरफ संकट दिखाई दे रहा है। एक तरफ चीन तो दूसरी तरफ पाकिस्तान हमको निगलने के लिए तैयार बैठे हैं। हमें अगर कोई सुरक्षित रख सकता है तो वह हमारी संस्कृति है। संस्कृति का वाहक साहित्य होता है, साहित्य आगे बढ़ेगा तो हमारी संस्कृति सुरक्षित रहेगी और संस्कृति सुरक्षित रहेगी तो देश सुरक्षित रहेगा। कार्यक्रम को बतौर विशिष्ट अतिथि साकेत महाविद्यालय अयोध्या के सेवानिवृत्त हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. जनार्दन तिवारी, लखनऊ शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विधायक उमेश द्विवेदी, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी आचार्य योगेंद्र सिंह तथा भुड़कुड़ा महाविद्यालय में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सन्तोष कुमार मिश्र ने सम्बोधित किया। इस मौके पर गाँधी स्मारक पीजी कॉलेज मालटारी के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामअवध यादव, डॉ. शिवमूर्ति त्रिपाठी, डॉ एसएस मिश्र, डॉ. नीलम ओझा, डॉ. राजकुमार पांडेय, डॉ सत्यपाल तिवारी, डॉ. राधेश्याम तिवारी, डॉ. वीरेंद्र मिश्र, डॉ. राजेन्द्र मिश्र, केशवराम ओझा, नागेन्द्र अनुज आदि रहे। अध्यक्षता डॉ. विद्याकान्त तिवारी तथा संचालन युवा साहित्यकार सुनील प्रभाकर ने किया। आभार नीलकांत उपमन्यु ने ज्ञापित किया।