जन्मजात टेढ़े मेढ़े पैर वाले बच्चों के लिए वरदान बनी ये संस्था, जिला अस्पताल में 23 का हुआ निःशुल्क इलाज





गाजीपुर। प्रत्येक मां बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा स्वस्थ हो। उसके आने वाले जीवन में किसी भी तरह का संकट ना हो। इसी तरह जखनियां के खरनजी हरिहर गांव के रहने वाले वीरेंद्र के वर्तमान में छह माह के पुत्र शिवम का जब जन्म हुआ तो वो उसके टेढ़े-मेढ़े पैर देखकर बेहद चिंतित हो गए थे। पहले उन्हें लगा कि उनका बच्चा पोलियो का शिकार है। लेकिन जब अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाया तो डॉक्टरों ने पोलियो नहीं होने की बात कही। जब वीरेंद्र को जिला अस्पताल में टेढ़े-मेढ़े पैरों के निःशुल्क इलाज कराने की जानकारी मिली तो वे बहुत खुश हुए और जिला अस्पताल आकर बच्चे के पैर का इलाज कराना शुरू कर दिया। कुछ इसी तरह की कहानी लाल दरवाजा के निवासी हनीफ के 8 माह के पुत्र हम्ज़ा रहमान की है। हनीफ ने बताया कि हमारा बच्चा जब पैदा हुआ तो हम खुश होने की वजह अत्यधिक चिंतित थे। क्योंकि यह उनका पहला बेटा था और जब उन लोगों ने उसके पैरों पर ध्यान दिया तो उन्हें उसका पैर टेढ़ा होना महसूस हुआ। जिसके लिए उन्होंने पहले प्राइवेट डॉक्टरों को दिखाया। लेकिन डॉक्टरों ने इसके इलाज में अधिक खर्च होने की बात कही। इस दौरान मोहल्ले के ही कुछ लोगों ने जिला अस्पताल में दिखाने की बात कही। जिला अस्पताल में पता करवाया तो पता चला कि ऐसे बच्चों का इलाज प्रत्येक बुधवार को मुफ्त हो रहा है, तो हम वहाँ गए। डाक्टर को दिखाने के बाद वहाँ से हमारे बच्चे के पैर में सुधार दिखना शुरू हो गया और अब मेरे बच्चे का पैर एकदम ठीक है। बता दें कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मिरेकल फीट इंडिया के सहयोग से बच्चों के जन्मजात टेढ़े पंजे (क्लबफुट) का निःशुल्क इलाज मिल रहा है। इस योजना के तहत इस वर्ष अब तक 17 बच्चों का निःशुल्क इलाज किया जा चुका है। जिला अस्पताल में 17 में से दो बच्चों की टेनोटामी (ऑपरेशन) डॉ. तपिश कुमार व डॉ. कृष्ण कुमार यादव द्वारा सफलतापूर्वक किया जा चुका है। वर्तमान में चार बच्चे प्लास्टर (पोंसेटी मेथड) पर चल रहे हैं। डॉ. तपिश कुमार ने बताया कि जल्द ही इन दोनों बच्चों की टेनोटॉमी की जाएगी। इसके बाद ब्रेस (विशेष प्रकार के जूते) पहनाए जाएंगे। डॉ तपिश ने बताया कि जन्म के समय जिन बच्चों के पैर का पंजा अंदर की ओर मुड़ा होता है, उन बच्चों का इलाज पोंसेटी मेथड के द्वारा सही किया जा सकता है। उन बच्चों को पहले प्लास्टर लगाया जाता है, फिर उनके टेंडेंट को रिलीज करने के लिए टेनोटोमी की जाती है। इसके बाद बच्चों को विशेष प्रकार के जूते पहनाए जाते हैं, जो मिरेकल फीट इंडिया के द्वारा निःशुल्क दिया जाता है। हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि क्लब-फुट जन्म के समय से ही बच्चों के पैर का पंजा मुड़ा हुआ होता है। पोंसेटी तकनीकी के सहयोग से क्लब-फुट का उपचार संभव है। इसमें धीरे-धीरे बच्चे के पैर को बेहतर स्थिति में लाया जाता है और फिर इस पर एक प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है, जिसे कास्ट कहा जाता है। यह हर सप्ताह 5 से 8 सप्ताह तक के लिए दोहराया जाता है। आखिरी कास्ट पूरा होने के बाद, अधिकांश बच्चों के टेंडन को ढीला करने के लिए एक मामूली ऑपरेशन की आवश्यकता होती है। यह बच्चे के पैर को और अधिक प्राकृतिक स्थिति में लाने में मदद करता है। जिससे पैर अपनी मूल स्थिति पर वापस न आ जाये। डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि बच्चों के इस जन्मजात विकृति का इलाज ठीक समय पर नहीं किया गया तो यह आगे चलकर विकलांग हो जाएंगे। इलाज के प्रक्रिया का अहम हिस्सा है कि माता पिता बच्चे को ब्रेस अवश्य पहनाएं। कभी-कभी इस प्रक्रिया के काम नहीं करने का मुख्य कारण यह होता है कि ब्रेसेज़ लगातार उपयोग नहीं किये जाते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बच्चा लंबे समय तक विशेष जूते और आमतौर पर तीन माह तक ब्रेसेज़ पूरे समय और फिर रात में भी पहनाए जा रहे हों। मिरेकल फीट इंडिया के प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव आनंद कुमार ने बताया कि प्रत्येक बुधवार को जिला अस्पताल में जन्म से दो साल तक के बच्चे निःशुल्क लाभ ले सकते हैं। संस्था द्वारा बच्चों के प्लास्टर में लगने वाला जिप्सोना तथा और ब्रेस निःशुल्क प्रदान किया जाता है।



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